
श्रीमाँ का साक्षात्कार
क्या श्रीमां के अन्तर्दर्शन को अथवा स्वप्न या जागृत अवस्था में उन्हें देखने को साक्षात्कार कहा जा सकता है? वह साक्षात्कार न होकर अनुभव होगा।...
क्या श्रीमां के अन्तर्दर्शन को अथवा स्वप्न या जागृत अवस्था में उन्हें देखने को साक्षात्कार कहा जा सकता है? वह साक्षात्कार न होकर अनुभव होगा।...
तुम्हारी निष्ठा और समर्पण सत्यमय और संपूर्ण होने चाहियें। जब तुम अपना अर्पण करते हो तो अपने को दे डालो निःशेष रूप से, बिना किसी...
प्रायः ही श्रीअरविंद कहते हैं कि व्यक्ति को श्रीमाँ की शक्ति को शासन करने देना चाहिये । क्या इसका यह अर्थ है कि दोनों कि...
जब तुम अपने-आपको देते हो तो पूरी तरह दो, बिना किसी मांग के, बिना किसी शर्त के और बिना किसी संकोच के दो, ताकि तुम्हारे...
माताजी की सतत उपस्थिति अभ्यास के द्वारा आती हे; साधना में सफलता पाने के लिये भागवत कृपा अत्यंत आवश्यक है, पर अभ्यास ही वह चीज है जो...
कुछ लोगो को श्रीमाँ के चारों और ज्योति आदि के दर्शन होते हैं पर मुझे नहीं होते । मेरे अंदर क्या रुकावट है ? यह...
. . . संसार का जीवन अपने स्वभाव में अशांति का क्षेत्र है – उचित तरीके से उस पर चलने के लिए व्यक्ति को अपना...
किसी कठिनाई के कारण बेचैन या निरुत्साहित मत होओ बल्कि चुपचाप और सरल भाव से अपने को माताजी की शक्ति की ओर खोले रखो और...
“कितनी दूर मैं आ गया हूँ, और कितना रास्ता मुझे तय करना है?” – ऐसे प्रश्न बहुत उपयोगी नहीं होते। श्रीमाँ को कर्णधार बना कर...
श्रीअरविंद तथा श्रीमाँ के प्रभाव को ग्रहण करने के लिए श्रद्धा के साथ-साथ आवश्यकता है बस आध्यात्मिक पथ का अनुसरण करने के लिए पूर्ण सच्चाई...