जीवनयात्रा में समस्त भय, संकट और विपदा का सामना करने के लिए कवच के रूप में तुम्हारे पास केवल दो…
श्रीमाँ की ओर खुले रहने का तात्पर्य है बराबर शांत-स्थिर और प्रसन्न बने रहना तथा दृढ़ विश्वास बनाये रखना न…
श्रीमाँ श्रीअरविन्द' की शिष्या नहीं हैं। उन्हें मेरे समान ही सिद्धि और अनुभूति प्राप्त थी। श्रीमाँ की साधना छोटी उम्र…
तुम्हारें लिए यह बिल्कुल संभव है कि तुम घर पर और अपने काम के बीच रह कर साधना करते रहो…
यदि चैत्य पुरुष की प्रकृति जाग्रत हो जाए, अपने पीछे विद्यमान माताजी की चेतना और शक्ति के द्वारा तुम्हारा पथ-प्रदर्शन…
यदि अपनी भक्ति और समर्पण के पीछे तुम अपनी इच्छाओं को, अहंकार की अभिलाषाओं और प्राणों के हठों को छिपा…
इसपर विचार मत करो कि लोग तुमसे सहमत हैं या असहमत अथवा तुम अच्छे हो या बुरे, वरन यह विचार…
हम चाहें श्रीअरविंद को लिखें या श्रीमाँ को, क्या यह एक ही बात है ? कुछ लोग कहते हैं कि…
प्रायः ही श्रीअरविंद कहते हैं कि व्यक्ति को श्रीमाँ की शक्ति को शासन करने देना चाहिये । क्या इसका यह…
जब कोई आदमी माताजी के संरक्षण में योग करना आरंभ करता है तब क्या वह पूर्ण रूप से उनके द्वारा…