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माताजी के वचन भाग-२

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भागवत मुस्कान का ध्यान
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भागवत मुस्कान का ध्यान

by श्री माँ 1 सप्ताह ago1 सप्ताह ago
दूसरों पर नियंत्रण
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दूसरों पर नियंत्रण

by श्री माँ 3 सप्ताह ago3 सप्ताह ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    यथार्थ साधन

    भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के लिए जो कुछ अनिवार्य हो वह हमें मिल जाता है।...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    कौन योग्य, कौन अयोग्य

    ‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य ‘मां’ के बालक हैं। ‘उनका’ प्रेम उन सब पर समान...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सहन करो

    सहते चलो और तुम्हारी विजय होगी। विजय सबसे अधिक सहनशील के हाथों में आती है। और भागवत कृपा और भागवत प्रेम के साथ कुछ भी...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीमाँ के वचन जीवन के लक्ष्य के विषय में
    श्री माँ के वचन

    जीवन का खालीपन

    जीवन का एक प्रयोजन है-और वही एकमात्र सच्चा और स्थायी प्रयोजन है-वह हैं भगवान् । ‘उनकी’ ओर मुड़ो तो रिक्तता चली जायेगी । आशीर्वाद ।...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    ध्यान में बैठने का तरीका

    जब तुम ध्यान में बैठो तो तुम्हें बालक की तरह निष्कपट और सरल होना चाहिये। तुम्हारा बाह्य मन बाधा न दे, तुम किसी चीज की...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सही मनोभाव

    हमारा काम चाहे जो हो, हम चाहे जो करते हों, हमें उसे सचाई, ईमानदारी और अति सावधानी के साथ करना चाहिये, किसी निजी लाभ के...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सच्चाई

    सच्चाई का अर्थ है, अपनी सत्ता की सभी गतिविधियों को उस उच्चतम चेतना तथा उच्चतम सिद्धि तक उठाना जिन्हें पहले से ही प्राप्त कर लिया...

    श्री माँ
    by श्री माँ 4 वर्ष ago4 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सच्चा प्रेम

    भगवान के लिये सच्चा प्रेम है, बिना कुछ माँगे अपने-आपको दे देना। वह प्रेम समर्पण और उत्सर्ग से भरा होता है, वह कोई अधिकार नहीं...

    श्री माँ
    by श्री माँ 4 वर्ष ago4 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सहायता किस तरह ?

    जगत एक बहुत बड़े परिवर्तन की तैयारी कर रहा है । सहायता करोगे ? नववर्ष के संदेश में आपने जिस महान परिवर्तन के बारे में...

    श्री माँ
    by श्री माँ 4 वर्ष ago4 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    पाप

    पाप संसार की चीज़ है, योग की नहीं। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

    श्री माँ
    by श्री माँ 4 वर्ष ago4 वर्ष ago

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    योग

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    भगवती माँ की कृपा

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    श्रीमाँ का कार्य

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    जीवन का उद्देश्य

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    दुश्मन को खदेड़ना

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    आलोचना की आदत

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    कृतज्ञता

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    अनुशासन

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    भागवत मुस्कान का ध्यान

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    मनोबल

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    तुम्हारा चुनाव

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    खिन्नता

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    मेरी इच्छा

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    ज्ञान

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    मानसिक रूपायण

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    नयी चीज़ का डर

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    युवकों को आह्वान

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