
यथार्थ साधन
भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के लिए जो कुछ अनिवार्य हो वह हमें मिल जाता है।...
भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के लिए जो कुछ अनिवार्य हो वह हमें मिल जाता है।...
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य ‘मां’ के बालक हैं। ‘उनका’ प्रेम उन सब पर समान...
सहते चलो और तुम्हारी विजय होगी। विजय सबसे अधिक सहनशील के हाथों में आती है। और भागवत कृपा और भागवत प्रेम के साथ कुछ भी...
जीवन का एक प्रयोजन है-और वही एकमात्र सच्चा और स्थायी प्रयोजन है-वह हैं भगवान् । ‘उनकी’ ओर मुड़ो तो रिक्तता चली जायेगी । आशीर्वाद ।...
जब तुम ध्यान में बैठो तो तुम्हें बालक की तरह निष्कपट और सरल होना चाहिये। तुम्हारा बाह्य मन बाधा न दे, तुम किसी चीज की...
हमारा काम चाहे जो हो, हम चाहे जो करते हों, हमें उसे सचाई, ईमानदारी और अति सावधानी के साथ करना चाहिये, किसी निजी लाभ के...
सच्चाई का अर्थ है, अपनी सत्ता की सभी गतिविधियों को उस उच्चतम चेतना तथा उच्चतम सिद्धि तक उठाना जिन्हें पहले से ही प्राप्त कर लिया...
भगवान के लिये सच्चा प्रेम है, बिना कुछ माँगे अपने-आपको दे देना। वह प्रेम समर्पण और उत्सर्ग से भरा होता है, वह कोई अधिकार नहीं...
जगत एक बहुत बड़े परिवर्तन की तैयारी कर रहा है । सहायता करोगे ? नववर्ष के संदेश में आपने जिस महान परिवर्तन के बारे में...
पाप संसार की चीज़ है, योग की नहीं। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)