उचित मनोभाव
स्वांग मत करो, बनो । वचन मत दो, करो । सपने मत देखो, चरितार्थ करो । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
स्वांग मत करो, बनो । वचन मत दो, करो । सपने मत देखो, चरितार्थ करो । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
योग के दृष्टिकोण से, तुम जो करते हो वह नहीं बल्कि तुम कैसे करते हो वह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है । कर्म का इतना अधिक...
हर एक के जीवन में एक ऐसा क्षण आता है जब उसे दिव्य मार्ग और अव्यवस्था के बीच चुनाव करना होता है। तुम एक पांव...
तुम्हें जो चीज़ जाननी चाहिये वह है, ठीक तरह से यह जानना कि तुम जीवन में क्या करना चाहते हो । इसे सीखने में जो...
पहाड़ी रास्ता हमेशा दो दिशाओं में जाता है । ऊपर की ओर और नीचे की ओर-सब कुछ इस पर निर्भर है कि तुम किस ओर...
यह कभी न भूलो कि तुम अकेले नहीं हो । भगवान् तुम्हारे साथ हैं, तुम्हारी सहायता और तुम्हारा मार्गदर्शन कर रहे हैं । ‘वे’ ऐसे...
भगवान् के प्रति पूर्ण आत्मदान के लिए तीन विशेष विधियां : १. सारे गर्व को त्याग कर पूर्ण नम्रता के साथ अपने-आपको ‘उनके’ चरणों में...
अहंकार के खेल के बिना कोई संघर्ष न होंगे और अगर प्राण में नाटक करने की वृत्ति न हो तो जीवन में नाटकीय घटनाएँ न...
जब कभी, अपने जीवन में तुम्हें संकट का सामना करना पड़े तो उसे प्रभु की कृपा के वरदान के रूप में लो और वह वही...
हमेशा भगवान् का स्वागत करने के लिए तैयार रहो, ‘वे’ किसी भी क्षण तुम्हारे यहां आ सकते हैं। और अगर कभी ‘वे’ तुमसे निश्चित मिलन-स्थल...