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माताजी के वचन भाग-२

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यथार्थ साधन
670

यथार्थ साधन

by श्री माँ 4 दिन ago4 दिन ago
कौन योग्य, कौन अयोग्य
120

कौन योग्य, कौन अयोग्य

by श्री माँ 5 दिन ago5 दिन ago
  • 510
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्री माँ के वचन

    हमारा मूल्य

    हमारा मूल्य अपने-आपका अतिक्रमण करने के प्रयास के परिमाण में है, और अपने-आपका अतिक्रमण करने का अर्थ है , भगवान को पाना । आखिर यह...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 660
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्री माँ के वचन

    निस्वार्थ कार्य

    जब तुम अपने-आपको किसी नि:स्वार्थ  कार्य की परिपूर्णता के लिये सौंप देते हो तो कभी सामान्य लोगों से प्रशंसा या सहायता की आशा न करो।...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 690
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्री माँ के वचन

    सत्य की शक्ति

    सत्य ‘शक्ति’ हमेशा अचंचल होती है । दुर्बलता और अपूर्णता के निश्चित लक्षण हैं – बेचैनी, उत्तेजना तथा अधीरता। तुम्हें बाहरी परिस्थितियों में अचंचलता की...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 430
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    प्रसन्नता

    प्रसन्नता भी उतनी ही संक्रामक है जितनी उदासी – इससे ज़्यादा उपयोगी और कुछ नहीं हो सकता कि तुम लोगों को सच्ची और गहरी प्रसन्नता...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 510
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ का चित्र
    श्री माँ के वचन

    भय को स्वीकृति

    भय गुप्त स्वीकृति है । जब तुम किसी चीज़ से डरते हो तो इसका या अर्थ है कि तुम उसकी सम्भावना को स्वीकार करते हो...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 280
    श्री माँ और श्रीअरविंद के विचार
    श्री माँ के वचन

    बाहरी प्रभाव

    किसी अन्य मनुष्य के प्रभाव के प्रति खुले रहना हमेशा दुखद होता है। तुम्हें भगवान के सिवा और किसी के प्रभाव को अपने अन्दर न...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 510
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्री माँ के वचन

    स्वाधीनता

    स्वाधीनता बाहरी परिस्थितियों से नहीं , आंतरिक मुक्ति से आती है । अपनी अंतरात्मा को खोजो, उसके साथ एक हो , उसें अपने जीवन पर...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 270
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्री माँ के वचन

    अकेलापन क्यों ?

    तुम्हें अकेलापन इसलिये लगता है क्योंकि तुम्हें प्रेम की आवश्यकता मालूम होती है। बिना किसी मांग के प्रेम करना सीखो, केवल प्रेम के आनंद के...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 490
    श्री माँ के प्रेम के ऊपर विचार
    श्री माँ के वचन

    प्रेम और खुशी

    तुम उस प्रेम से खुश नहीं होते जो कोई और तुम्हारे लिए अनुभव करता है। तुम्हें औरों के लिए जो प्रेम अनुभव होता है वह...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 200
    श्री माँ का चित्र
    श्री माँ के वचन

    भागवत उपस्थिती

    ‘भागवत उपस्थिति’ दिन-रात सतत मौजूद है । चुपचाप अन्दर की ओर मुड़ना काफी है और हम उसे पा लेंगे । संदर्भ :माताजी के वचन (भाग...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago

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3 conditions of yoga auroville bases of yoga Mirra Alfassa Priti Das Gupta Sri Aurobindo Ashram sri aurobindo The Mother The Mother of Sri Aurobindo Ashram Pondicherry The Mother on Sports अध्यात्मिकता आंरोंविल आश्वासन कृपा निद्रा और स्वप्न पूर्ण योग प्रीति दास गुप्ता भागवत उपस्थिती भारत के लिये संदेश माताजी की झाकियां माताजी के वचन भाग-१ माताजी के वचन भाग-२ माताजी के वचन भाग - ३ माताजी के विषय में मातृवाणी योग योग समन्वय यौवन वयवहारिक ज्ञान साधकों के लिये विचार और सूत्र के प्रसंग में विश्वास व्यावहारिक ज्ञान साधकों के लिये शिक्षा के ऊपर श्रद्धा श्री अरविंद श्रीअरविंद श्रीअरविंद के वचन श्री अरविद श्री माँ श्री माँ अपने बारे में श्री माँ के बारें में श्री माँ के बारे में श्री माँ के संस्मरण श्री माँ शरीर के बारें में साधना साधना के संकेत श्री माँ द्वारा
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    भगवान के दो रूप

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    भगवान की बातें

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