माताजी के वचन भाग-२

भागवत कृपा

​'भागवत कृपा' कार्य करने के लिए हमेशा मौजूद है लेकिन तुम्हें उसे कार्य करने देना चाहिये, उसकी क्रिया का प्रतिरोध…

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कौन योग्य और कौन अयोग्य ?

​'भागवत कृपा' के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य ?   सभी तो उसी एक दिव्य 'मां' के बालक…

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उचित मनोभाव

स्वांग मत करो, बनो । वचन मत दो, करो । सपने मत देखो, चरितार्थ करो । संदर्भ : माताजी के…

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यौगिक कर्म

योग के दृष्टिकोण से, तुम जो करते हो वह नहीं बल्कि तुम कैसे करते हो वह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है…

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चुनाव करना

हर एक के जीवन में एक ऐसा क्षण आता है जब उसे दिव्य मार्ग और अव्यवस्था के बीच चुनाव करना…

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सबसे महत्वपूर्ण चीज़

तुम्हें जो चीज़ जाननी चाहिये वह है, ठीक तरह से यह जानना कि तुम जीवन में क्या करना चाहते हो…

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भगवान तुम्हारे साथ हैं

यह कभी न भूलो कि तुम अकेले नहीं हो । भगवान् तुम्हारे साथ हैं, तुम्हारी सहायता और तुम्हारा मार्गदर्शन कर…

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गर्व को त्यागने का तरीका

भगवान् के प्रति पूर्ण आत्मदान के लिए तीन विशेष विधियां : १. सारे गर्व को त्याग कर पूर्ण नम्रता के…

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अहंकार का खेल

अहंकार के खेल के बिना कोई संघर्ष न होंगे और अगर प्राण में नाटक करने की वृत्ति न हो तो…

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भगवान् का स्वागत

हमेशा भगवान् का स्वागत करने के लिए तैयार रहो, 'वे' किसी भी क्षण तुम्हारे यहां आ सकते हैं। और अगर…

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