जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती है । संदर्भ : माताजी…
भगवान की सेवा से बढ़ कर और कोई हर्ष नहीं हो सकता। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
मनुष्य को भगवान पर भरोसा रखना, उन पर निर्भर होना चाहिए और साथ-साथ कोई उपयुक्त बनाने वाली साधना करनी चाहिये…
मधुर माँ, क्या हमारा प्राण केवल कामनाओं, स्वार्थपूर्ण भावनाओं आदि से ही बना है उसमें कुछ अच्छी चीज़ें भी हैं?…
भगवान स्वयं मार्ग पर चल कर मनुष्यों को राह दिखाने के लिए मनुष्य का रूप धारण करते हैं और बाहरी…
भगवान हमेशा तुम्हारें हृदय में आसीन होते हैं , सचेतन रूप से जीवित रहते है । संदर्भ : माताजी के…
... यदि किसी में बिलकुल ही कोई ज्ञान न हो पर भागवत कृपा पर भरोसा हो, यदि उसमें यह श्रद्धा…
भगवान जब बुरी-से-बुरी परीक्षा लेते हैं तब वह अच्छे-से-अच्छा पथ दिखाते हैं, जब वह कठोरतापूर्वक दण्ड देते है तब वह…
भगवान के शब्द सहारा देते और आशीर्वाद देते हैं, सहलाते और प्रकाश देते हैं, और भगवान के उदार हस्त अनंत…
वास्तव में भगवान वही हैं जिनकी गहराई में तुम अभीप्सा करते हो । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)