
भगवान से दूरी ?
स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते हुए भी पूरी तरह ध्यानस्थ और भगवान के साथ एक्य...
स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते हुए भी पूरी तरह ध्यानस्थ और भगवान के साथ एक्य...
किसी भी बाहर की चीज़ को अपने नजदीक आने और अपने – आपको क्षुब्ध न करने दो। लोग जो सोचते, करते या कहते हैं उसका...
प्रकृति का ऐसा कोई विधान नहीं हैं जिसका अतिक्रमण न किया जा सके या जिसे बदला न जा सके, केवल हमारे अंदर यह विश्वास होना...