
भगवान के दो रूप
… हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ और इति नहीं है, कि सामञ्जस्य संग्राम से बड़ी चीज...
… हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ और इति नहीं है, कि सामञ्जस्य संग्राम से बड़ी चीज...
मधुर माँ, अंतरात्मा की क्या भूमिका है ? अंतरात्मा के बिना तो हमारा अस्तित्व ही न होगा ! अंतरात्मा वह है जो कभी भी भगवान...
मधुर माँ, हम प्रायः कोई नयी चीज़ करने से डरते हैं, शरीर नये तरीके से क्रिया करने से इंकार करता हैं, जैसे जिम्नास्टिक में कोई...