उनके दुःख-दर्द से तीव्र रूप से पीड़ित होकर मैं तेरी ओर मुड़ी और उसका उपचार करने के लिए मैंने उस…
हे समस्त वरदानों के परम वितरक, तुझे, जो इस जीवन को शुद्ध, सुन्दर और शुभ बना कर उसे औचित्य प्रदान करता…
प्रभो, मेरे विचार की निद्रालुता को तू झाड़ फेंकेगा ताकि मैं ज्ञान पा सकू और उस अनुभव को समझ सकूँ…
हे प्रभो, तेरे प्रकाश की पूर्णता के लिए हम तेरा आवाहन करते हैं। हमारे अन्दर वह शक्ति जगा जो तुझे…
क्या बाहरी जीवन, प्रतिदिन और प्रतिक्षण की क्रियाशीलता हमारे ध्यान और निदिध्यासन के घण्टों का अनिवार्य पूरक नहीं है? और…
हृदय में शांति और मन में प्रकाश से भरपूर, हे प्रभु, हम तुझे अपने अंदर ऐसा सजीव महसूस करते हैं…
(श्रीमाँ श्रीअरविंद से २९ मार्च १९१४ को पहली बार मिली थीं और यह प्रार्थना उन्होने १ अप्रैल १९१४ को लिखी…
जो होना चाहिये वह होगा, जो करना ज़रूरी है वह किया जायेगा...। हे प्रभो, तूने मेरी सत्ता में कैसा निश्चल…
मेरी अभीप्सा तेरी ओर उठ रही है, अपने रूप में सदा वैसी ही बचकानी, अपनी सरलता में अतिसामान्य, लेकिन मेरी…
तुझे प्रणाम है हे भगवान् ! हे संसार के स्वामी ! हमें ऐसी शांति दे कि हम कर्म में आसक्त…