प्रार्थना और ध्यान

श्रीमाँ की प्रार्थना

हे तू, एकमात्र परम सद्वस्तु, हमारे प्रकाश के प्रकाश और हमारे जीवन के जीवन, हे परम प्रेम, हे संसार के…

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सचेतन संपर्क

हर उपस्थित व्यक्ति के साथ सचेतन संपर्क स्थापित कर लेने के बाद मैं 'परम प्रभु' के साथ एक हो जाती…

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तेरी सेवा

गहरे और मौन निदीध्यासन या लिखित या अलिखित ध्यान की जगह हमें हर क्षण की क्रियाशीलता में तेरी सेवा करनी…

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प्रार्थना

हे प्रभों, तू मेरा आश्रय और मेरा वरदान है, मेरा बल, मेरा स्वस्थ्य, मेरी आशा और मेरा साहस है ।…

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हमारी क्रतज्ञता तथा उत्सर्ग

हे समस्त वरदानों के 'परम वितरक', तुझे, जो इस जीवन को शुद्ध सुन्दर और शुभ बना कर उसे औचित्य प्रदान…

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ओह, बैचेन क्यों हुआ जाये

ओह, बेचैन क्यों हुआ जाये और यह चाह क्यों की जाये कि हमारे लिए वस्तुएँ अमुक दिशा ही अपनाएँ, कोई…

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अनिर्वचनीय शांति

तूने मेरी सत्ता को अनिर्वचनीय शांति और अद्वितीय विश्रांति से भर दिया है ... किसी व्यक्तिगत विचार या इच्छा के…

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शाश्वत की अभिव्यक्ति

शाश्वत शांति और नीरवता में प्रकट होते हैं, किसी चीज़ से तुम अपने-आपको क्षुब्ध न होने दो तो शाश्वत अभिवक्त…

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प्रार्थना

प्रेम के हे दिव्य स्वामी, हर सत्ता में तेरी उपस्थिति के कारण हर मनुष्य, यहां तक कि अत्यन्त क्रूर मनुष्य…

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प्रभो, वर दे!

उनके दुःख-दर्द से तीव्र रूप से पीड़ित होकर मैं तेरी ओर मुड़ी और उसका उपचार करने के लिए मैंने उस…

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