630 श्री माँ के वचनउदार हृदयउदार हृदय हमेशा अपने पुराने दुर्व्यवहारों को भूल जाता है और दुबारा सामंजस्य लाने के लिए तैयार रहता है। आओ, हम सब उसको भूल जायें... by श्री माँ 1 वर्ष ago1 वर्ष ago
680 श्री माँ के वचनउदारता. . . मैं यहाँ भौतिक उदारता की चर्चा नहीं करूँगी जिसका स्वाभाविक स्वरूप है अपने पास जो कुछ हो उसे दूसरों को देना। परंतु... by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago