• श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

    खुद की भूल खोजना

    “असामञ्जस्य-भरे वातावरण” को पहचानना केवल उसी हद तक उपयोगी हो सकता है जिस हद तक वह हर एक के अन्दर उसे सामञ्जस्य-भरे वातावरण में बदलने की...

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

    बदलों

    बदलो… १. घृणा को सामञ्जस्य में २. ईर्ष्या को उदारता में ३. अज्ञान को ज्ञान में ४. अन्धकार को प्रकाश में ५. मिथ्यात्व को सत्य...