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श्रीअरविंद और श्रीमाँ का संसार

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अभीप्सा

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तेरे ज्ञान की अभीप्सा
70

तेरे ज्ञान की अभीप्सा

by श्री माँ 2 सप्ताह ago3 सप्ताह ago
पहली आवश्यकता
380

पहली आवश्यकता

by श्रीअरविंद 3 सप्ताह ago3 सप्ताह ago
  • 650
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    प्रगति के लिये प्रयास

    माताजी, हर बार जब मैं अपनी चेतना में  जरा उठने की कोशिश करता हूँ तो एक धक्का-सा लगता है और ऐसा मालूम होता है कि...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 280
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्री माँ के वचन

    भागवत कृपा की प्राप्ति

    भागवत कृपा हमेशा रहती है, शाश्वत रूप से उपस्थित और सक्रिय; लेकिन श्रीअरविंद कहते हैं कि हमारे लिए उसे ग्रहण करने, बनाये रखने और वह...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 650
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ आयुर्वेदिक चिकित्सालय में
    श्री माँ के वचन

    चेतना की खिड़कियाँ

    हमारी मानव चेतना में ऐसी खिड़कियाँ हैं जो शाश्वत में खुलती हैं । लेकिन मनुष्य साधारणत: इन खिड़कीयों को सावधानी से बन्द रखते हैं ।...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 410
    भगवान तुमहारें अन्दर है
    श्री माँ के वचन

    उपलब्धि का दरवाजा

    … जिस क्षण तुम यह कल्पना करते और किसी-न-किसी तरह अनुभव करते हो, या , प्रारम्भ में, इतना मान भी लेते हो कि भगवान् तुम्हारें...

    श्री माँ
    by श्री माँ 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 1150
    Sri Aurobindo in his roon
    श्रीअरविंद के वचन

    खोज की प्रमुख शक्ति

    जो कुछ मनुष्य सच्चाई के साथ और निरंतर भगवान् से चाहता है, उसे भगवान् अवश्य देते हैं। तब यदि तुम आनंद चाहो और लगातार चाहते...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 330
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ की कहानी
    श्री माँ के वचन

    मैं तेरा होना चाहता हूँ

    तुम्हारी चेतना की गहराइयों में तुम्हारे अंदर रहने वाले भगवान का मंदिर, तुम्हारा चैत्य पुरुष है। यही वह केंद्र है जिसके चारों ओर तुम्हारी सत्ता...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
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    Sri Aurobindo in his room
    श्रीअरविंद के वचन

    अभीप्सा का तात्पर्य

    अभीप्सा का तात्पर्य है, शक्तियों को पुकारना । जब शक्तियाँ प्रत्युत्तर दे देती हैं, तब शान्त-स्थिर ग्रहणशीलता की, एकाग्र पर स्वतःस्पर्श ग्रहणशीलता की एक स्वाभाविक...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
  • Popular
    620
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    मैं तुम्हारे साथ हूं

    मैं तुम्हारे साथ हूं क्योंकि मैं तुम हूं या तुम में हो । मैं तुम्हारे साथ हूं , इसके बहुत सारे अर्थ होते हैं ,...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
  • 840
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    आंतरिक परिवर्तन

    तुम्हें आंतरिक परिवर्तन के लिए निरन्तर अभीप्सा करनी चाहिये,  तुम्हारें अंदर यह इच्छा होनी चाहिये कि प्रकाश तुम्हारे अंधेरे भौतिक मन में आये, और तुम्हें...

    श्री माँ
    by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
  • 310
    श्रीअरविंद के पत्र
    श्रीअरविंद के वचन

    अधिक पाने के लिये अभीप्सा

    मनुष्य को जो कुछ उसे मिलता है उससे संतुष्ट रहना चाहिये फिर भी शांत- रूप से, बिना संघर्ष के, और अधिक पाने के लिये अभीप्सा करनी...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago

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  • श्रीअरविंद का चित्र
    भगवान के दो रूप

    भगवान के दो रूप

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    भगवान की बातें

    भगवान की बातें

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    शांति के साथ

    शांति के साथ

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    यथार्थ साधन

    यथार्थ साधन

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    कौन योग्य, कौन अयोग्य

    कौन योग्य, कौन अयोग्य

  • श्रीअरविंद का चित्र
    सच्चा आराम

    सच्चा आराम

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    डरना नहीं

    डरना नहीं

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    परिश्रम

    परिश्रम

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    चिंता न करो

    चिंता न करो

  • श्रीमाँ के वचन जीवन के लक्ष्य के विषय में
    जीवन का खालीपन

    जीवन का खालीपन

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    जगत से जाना ?

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    ज्योतिषियों की बात

    ज्योतिषियों की बात

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    ध्यान में बैठने का तरीका

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  • दर्शन संदेश १५ अगस्त २०१८ (२/४)
    भगवान् के कार्य को समझना

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  • श्रीअरविंद और श्रीमाँ के दर्शन
    अच्छा यंत्र पर बुरा मालिक

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    यौवन

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    तेरे ज्ञान की अभीप्सा

    तेरे ज्ञान की अभीप्सा

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    पुजारियों के प्रति वृत्ति

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