
श्रद्धा और भरोसा
श्रद्धा भरोसे से अधिक, कहीं अधिक पूर्ण है। देखो, तुम्हें भगवान पर भरोसा है, इस अर्थ में कि तुम्हें अधिक विश्वास है कि जो कुछ...
श्रद्धा भरोसे से अधिक, कहीं अधिक पूर्ण है। देखो, तुम्हें भगवान पर भरोसा है, इस अर्थ में कि तुम्हें अधिक विश्वास है कि जो कुछ...
प्रश्न : क्या अभीप्सा की क्षमता अलग-अलग साधकों में उनकी प्रकृति के अनुसार बदलती रहती है ? उत्तर: नहीं, अभीप्सा की क्षमता सभी में एक-सी...
उचित रूप में की गयी सम्मिलित एकाग्रता एक महान शक्ति हो सकती है। एक प्राचीन कहावत है कि यदि एक दर्जन सच्चे मनुष्य अपने संकल्प...
मेरी प्यारी माँ, मेरे अन्दर से उस समस्त अंधकार को निकाल दो जो मुझे अन्धा बना देता है और हमेशा मेरे साथ रहो । मैं...
तुम्हें आंतरिक परिवर्तन के लिए निरंतर अभीप्सा करनी चाहिये, तुम्हारें अंदर यह इच्छा होनी चाहिये कि प्रकाश तुम्हारें अंधेरे भौतिक मन में आये, और तुम्हें...
जो होना चाहिये उसके आगे अब तक जो कुछ सोचा या प्राप्त किया गया है वह सामान्य, अति तुच्छ और अपर्याप्त है। अतीत की पूर्णताओं...
मधुर माँ, आप अपने ‘वार्तालाप’ में कहती हैं कि हमें सच्ची आध्यात्मिक अनुभूति पाने के लिए डुबकी लगानी चाहिये। क्या उसे केवल अभीप्सा द्वारा पाना...
तुम्हारे अन्दर जो चीज साधारण जीवन से आसक्त है और जो भागवत जीवन के लिए अभीप्सा करती है, उन दोनों के बीच संघर्ष है । यह तुम्हें...
मैं आपसे फिर से पूछता हूँ माँ, वह कौन-सी चीज़ है जो मेरी सत्ता को विभक्त करती है ? संघर्ष है उसके बीच जो चेतना...
हे सर्वसत्तासंपन्न सामर्थ्य, हे विजयी शक्ति, शुद्धि, सौन्दर्य, परम प्रेम, वर दे कि अपनी पूर्णता में यह सत्ता , अपनी समग्रता में यह शरीर गम्भीरता...