पहली आवश्यकता
हमारी पहली आवश्यकता श्रद्धा है; क्योंकि भगवान् में, जगत् में और सबसे महत्त्वपूर्ण यह कि भागवत परम सत्ता में श्रद्धा के बिना अभीप्सा या समर्पण...
हमारी पहली आवश्यकता श्रद्धा है; क्योंकि भगवान् में, जगत् में और सबसे महत्त्वपूर्ण यह कि भागवत परम सत्ता में श्रद्धा के बिना अभीप्सा या समर्पण...
मधुर माँ, कृपया आप मुझे बतलायेंगी कि मैं अपने बारे में इतना अधिक क्यों सोचता हूँ? मेरे ख्याल से ऐसे भी लोग हैं जो अपने...
इन छोटी-छोटी बातों से क्यों उत्तेजित हो जाते हो? या उनसे अपने को क्यों विचलित होने देते हो? यदि तुम अचंचल रहो तो वस्तुस्थिति अधिक...
जगत एक बहुत बड़े परिवर्तन की तैयारी कर रहा है । सहायता करोगे ? नववर्ष के संदेश में आपने जिस महान परिवर्तन के बारे में...
जो मनुष्य पसंदगी और नापसंदगी से, कामनाओं-वासनाओं से, और अपनी अभिरुचियों से एकदम ऊपर उठ गया है, वही प्रत्येक चीज की ओर पूर्ण निष्पक्षता के...
तुम श्रीअरविन्द पर अपनी श्रद्धा अमुक शब्दों में अभिव्यक्त करते हो और तुम्हारे लिए ये ही इस श्रद्धा की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति हैं। यह बिलकुल ठीक...
इस छोटे-से अभ्यास को करने का प्रयत्न करो। दिन के आरम्भ में कहो, “जो कुछ मुझे कहना होगा उस पर विचार किये बिना मैं कुछ...
सहते चलो और तुम्हारी विजय होगी। विजय सबसे अधिक सहनशील के हाथों में आती है। और भागवत कृपा और भागवत प्रेम के साथ कुछ भी...
वस्तुतः, तुम्हें केवल उन्हीं व्यक्तियों को अपने मित्र के रूपमें चुनना चाहिये जो तुमसे अधिक बुद्धिमान् हों, जिनकी संगति तुम्हें ऊंचा उठाये, अपने पर विजय...
यह (थकावटका कारण) शायद कोई कामना अथवा प्राणिक अभिरुचि है —प्राण की पसन्दगी और नापसन्दगी है। जो कार्य तुम्हें दिये जायं उन सबको तुम्हें श्रीमाताजी...