विश्वास रखो
माताजी, मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब कोई मुझे खुशी से अपनी सुंदर और सुखद अनुभूतियों के...
माताजी, मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब कोई मुझे खुशी से अपनी सुंदर और सुखद अनुभूतियों के...
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारत जगत में सबसे आगे का देश है। आध्यात्मिक उदाहरण प्रस्तुत करना ही उसका मिशन है। श्रीअरविंद जगत को यही सिखाने के...
बाह्य कर्मों में अहंकार प्रायः छिपा रहता है और बिना पते लगे स्वयं को संतुष्ट करता रहता है – लेकिन, जब साधना का दबाव पड़ता...
प्यारी माँ, आपका प्रेम ही मेरे लिए सच्चा आश्रय और बल है। माँ, मैं आपको जो कुछ अर्पित करता हूँ वह एक गंदला मिश्रण है...
कौन कहता है कि एक पर्याप्त सच्ची अभीप्सा, एक पर्याप्त तीव्र प्रार्थना, उन्मीलन के मार्ग को बदलने में सक्षम नहीं है? इसका अर्थ है कि सब...
(महाकाली के कार्य के बारें मे माताजी का वक्तव्य) समस्त विनाश के पीछे, चाहे वे प्रकृति के भूकंप, ज्वालामुखी, तूफान, बाढ़ आदि विकट, असीम विनाश...
हमारी सत्ता तथा समस्त सत्ता का भागवत सत्य के साथ ऐक्य ही योग का मौलिक उद्देश्य है। मन में इस बात का ध्यान रखना आवश्यक...
योगी, सन्यासी, तपस्वी बनना यहाँ का उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य है रूपांतर, और तुमसे अनन्तगुना बड़ी शक्ति के द्वारा ही यह रूपान्तर सम्पन्न किया...
यदि सारे विश्व में मनुष्य जैसा दुर्बल कोई नहीं हैं तो उस जैसा दिव्य भी नहीं है । संदर्भ : मातृवाणी (भाग-२)
मधुर माँ, स्त्र्षटा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह हमसे कुछ आशा करता हैं? जगत ‘स्वयं वही’ है। उसकी...