
अहंकार का त्याग
बाह्य कर्मों में अहंकार प्रायः छिपा रहता है और बिना पते लगे स्वयं को संतुष्ट करता रहता है – लेकिन, जब साधना का दबाव पड़ता...
बाह्य कर्मों में अहंकार प्रायः छिपा रहता है और बिना पते लगे स्वयं को संतुष्ट करता रहता है – लेकिन, जब साधना का दबाव पड़ता...
प्यारी माँ, आपका प्रेम ही मेरे लिए सच्चा आश्रय और बल है। माँ, मैं आपको जो कुछ अर्पित करता हूँ वह एक गंदला मिश्रण है...
कौन कहता है कि एक पर्याप्त सच्ची अभीप्सा, एक पर्याप्त तीव्र प्रार्थना, उन्मीलन के मार्ग को बदलने में सक्षम नहीं है? इसका अर्थ है कि सब...
(महाकाली के कार्य के बारें मे माताजी का वक्तव्य) समस्त विनाश के पीछे, चाहे वे प्रकृति के भूकंप, ज्वालामुखी, तूफान, बाढ़ आदि विकट, असीम विनाश...
हमारी सत्ता तथा समस्त सत्ता का भागवत सत्य के साथ ऐक्य ही योग का मौलिक उद्देश्य है। मन में इस बात का ध्यान रखना आवश्यक...
योगी, सन्यासी, तपस्वी बनना यहाँ का उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य है रूपांतर, और तुमसे अनन्तगुना बड़ी शक्ति के द्वारा ही यह रूपान्तर सम्पन्न किया...
यदि सारे विश्व में मनुष्य जैसा दुर्बल कोई नहीं हैं तो उस जैसा दिव्य भी नहीं है । संदर्भ : मातृवाणी (भाग-२)
मधुर माँ, स्त्र्षटा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह हमसे कुछ आशा करता हैं? जगत ‘स्वयं वही’ है। उसकी...
सफ़ेद ज्योति श्रीमाँ की ज्योति है। जहां कहीं वह उतरती है या प्रवेश करती है वही वह शांति, पवित्रता, निश्चलता-नीरवता ले आती है और उच्चतर...
हम उन देव मुहूर्तों में से एक में है जब पुराने आधार डगमगा जाते हैं और बड़ी अव्यवस्था रहती हैं; लेकिन जो लोग आगे छलाँग...