
सत्य चेतना
तुम जो कुछ भी करो वह उपयोगी हो उठता है यदि तुम उसमें सत्य चेतना की एक चिंगारी रख दो। तुम जो कार्य करते हो...
तुम जो कुछ भी करो वह उपयोगी हो उठता है यदि तुम उसमें सत्य चेतना की एक चिंगारी रख दो। तुम जो कार्य करते हो...
मैं और श्रीमाँ एक और समान हैं। और साथ ही वे यहाँ परमा हैं और उनका अधिकार है कि वे कार्य के लिए जो उत्तम...
हमारा भूतकाल चाहे जो भी रहा हो, हमने चाहे जो भी भूलें की हों, हम चाहे जितने अज्ञान में क्यों न रह चुके हों, हम...
इस समर्पण-मार्ग को यदि तुम पूर्ण रूप से और सच्चाई के साथ अपना लो तो कोई गम्भीर कठिनाई या कोई ख़तरा नहीं रहता। प्रश्न केवल...
मधुर माँ, अंतरात्मा की क्या भूमिका है ? अंतरात्मा के बिना तो हमारा अस्तित्व ही न होगा ! अंतरात्मा वह है जो कभी भी भगवान...
लोग अपनी नियति के बारे में रोते-धोते रहते हैं और अनुभव करते हैं कि अगर अन्य लोग और चीजें बदल जायें तो उनकी कठिनाइयां और...
अपने-आपको अपने-आपसे बड़े के हाथों में पूरी तरह दे देने से बढ़ कर पूर्ण और कोई आनंद नहीं है। ‘भगवान’, ‘परम स्त्रोत’, ‘भागवत उपस्थिती’, निरपेक्ष...
दूसरे धर्म अधिक प्रचलित रूप से श्रद्धा और व्रतदीक्षा के धर्म हैं, किन्तु ‘सनातन धर्म’ स्वयं जीवन है; यह एक ऐसी वस्तु है जो उतनी...
अनुकम्पा क्षमा, दया का पर्याय है। यह बल और दयालुता से भरपूर दया है, ऐसी दया जो भूलों का परिमार्जन करती और क्षमा करती है,...
तुम माँ के बच्चे हो और माँ का अपने बच्चों के प्रति प्रेम असीम होता है, और वे उनके स्वभाव के दोषों को बड़े धीरज...