संस्मरण

भागवत आर्लिंगन

एक बार एक महिला श्रीमाँ के दर्शन करके उनके कक्ष से बाहर आयीं। वे भागवत प्रेम से अभिभूत थी। हृदय…

% दिन पहले

मांगो और मांगो

(आश्रम के बहुत पुराने सदस्य स्व. उदार पिंटों को कौन नहीं जानता ? श्रीमाँ के बहुत निकट थे उदार दा…

% दिन पहले

कितनी मधुरता

जब भक्त लोग श्रीमाँ के दर्शन को जाते थे तो उनके दिव्य रूप और माधुरी के प्रभाव से सुध-बुध खो…

% दिन पहले

श्रीअरविंद की गायत्री

युग बदलते हैं और परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ नए आदर्शों और नए मंत्रों की आवश्यकता होती है। प्रभु पुनः…

% दिन पहले

तुम किसी से …

प्रातः पुष्प वितरण के समय श्रीमाँ को लगभग दो घंटे एक ही स्थान पर खड़े रहना पड़ता था। एक दिन…

% दिन पहले

दाँत ढीले कर दिये

मोनिका चंदा अपने दोनों नेत्रों की दृष्टि खो बैठी थी। फिर भी यह वृद्ध भक्त-साधक महिला अपने वैभवमय जीवन को…

% दिन पहले

तुम्हें मजबूत बनना है

लता जौहर का एक भाई नरेंद्र किसी काम से मद्रास गया था। वहाँ पहुँचकर अचानक ही वह बहुत बीमार हो…

% दिन पहले

प्रभु की मुस्कान

२६ नवम्बर १९२६ को श्रीअरविंद ने अपने कक्ष में एकांतवास आरंभ कर दिया। इसके बाद वे आरंभ में वर्ष में…

% दिन पहले

पशु-पक्षियों के प्रति अनुकम्पा

श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस…

% दिन पहले

कठिनाइयाँ और विपत्तियाँ

श्रीमाँ ने अपनी एक सहायिका से कहा था, "बहुत से लोग जब यहाँ आते है तब जो वस्तु उन्हें अशांत…

% दिन पहले