एक बार एक महिला श्रीमाँ के दर्शन करके उनके कक्ष से बाहर आयीं। वे भागवत प्रेम से अभिभूत थी। हृदय…
(आश्रम के बहुत पुराने सदस्य स्व. उदार पिंटों को कौन नहीं जानता ? श्रीमाँ के बहुत निकट थे उदार दा…
जब भक्त लोग श्रीमाँ के दर्शन को जाते थे तो उनके दिव्य रूप और माधुरी के प्रभाव से सुध-बुध खो…
युग बदलते हैं और परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ नए आदर्शों और नए मंत्रों की आवश्यकता होती है। प्रभु पुनः…
प्रातः पुष्प वितरण के समय श्रीमाँ को लगभग दो घंटे एक ही स्थान पर खड़े रहना पड़ता था। एक दिन…
मोनिका चंदा अपने दोनों नेत्रों की दृष्टि खो बैठी थी। फिर भी यह वृद्ध भक्त-साधक महिला अपने वैभवमय जीवन को…
लता जौहर का एक भाई नरेंद्र किसी काम से मद्रास गया था। वहाँ पहुँचकर अचानक ही वह बहुत बीमार हो…
२६ नवम्बर १९२६ को श्रीअरविंद ने अपने कक्ष में एकांतवास आरंभ कर दिया। इसके बाद वे आरंभ में वर्ष में…
श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस…
श्रीमाँ ने अपनी एक सहायिका से कहा था, "बहुत से लोग जब यहाँ आते है तब जो वस्तु उन्हें अशांत…