चेतना को विस्तृत कैसे करें ?
… जब तुम्हें लगे कि तुम पूरी तरह किसी सँकरे, सीमित विचार, इच्छा और चेतना में बंद हो, जब तुम्हें ऐसा लगे कि तुम किसी...
… जब तुम्हें लगे कि तुम पूरी तरह किसी सँकरे, सीमित विचार, इच्छा और चेतना में बंद हो, जब तुम्हें ऐसा लगे कि तुम किसी...
मधुर माँ, हमें भिखारियों को पैसे देने चाहियें या नहीं ? सुसंघठित समाज में भिखारी होना ही नहीं चाहियें। लेकिन जब तक वे हैं, तुम्हें...
क्या यह सच नहीं है कि मनुष्य को अपनी सारी अशुद्धता जाननी चाहिये? उन्हें जानना निश्चय ही जरूरी है, लेकिन लगातार उन्हीं पर अपना ध्यान...
मैं हमेशा यह सलाह देती हूं कि एक बार में थोड़ा-सा पढ़ो, मन को जितना शांत रख सकते हो रखो, समझने की कोशिश न करो,...
यदि तुम भगवान् की मुड़ो और उन पर पूरा भरोसा रखो और उनसे मांगो, तो तुम उस चीज को पा लोगे जिसकी तुम्हें आवश्यकता है...
… एक क्षण होता है जब जीवन, जैसा कि वह इस समय है, मानव चेतना, जैसी कि वह इस समय है, एकदम असह्य हो जाती...
वर्तमान बढ़ते हुए संघर्ष में हमारी वृत्ति कैसी होनी चाहिये? ‘भागवत कृपा’ में श्रद्धा और पूर्ण विश्वास । सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
जो लोग अपनी आजीविका के लिए तुम पर निर्भर हैं उनके साथ तुम्हें बहुत शिष्ट होना चाहिये। अगर तुम उनके साथ बुरा व्यवहार करो, तो...
क्या श्रीमां के अन्तर्दर्शन को अथवा स्वप्न या जागृत अवस्था में उन्हें देखने को साक्षात्कार कहा जा सकता है? वह साक्षात्कार न होकर अनुभव होगा।...
मुझे इतना डर क्यों लगता है? क्योंकि तुम्हारा ख्याल है कि मैं तुम्हारे ऊपर अपनी इच्छा लादना चाहती हूं; लेकिन यह गलत है। इसके विपरीत,...