
कैसी वृत्ति ?
वर्तमान बढ़ते हुए संघर्ष में हमारी वृत्ति कैसी होनी चाहिये? ‘भागवत कृपा’ में श्रद्धा और पूर्ण विश्वास । सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
वर्तमान बढ़ते हुए संघर्ष में हमारी वृत्ति कैसी होनी चाहिये? ‘भागवत कृपा’ में श्रद्धा और पूर्ण विश्वास । सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
जो लोग अपनी आजीविका के लिए तुम पर निर्भर हैं उनके साथ तुम्हें बहुत शिष्ट होना चाहिये। अगर तुम उनके साथ बुरा व्यवहार करो, तो...
क्या श्रीमां के अन्तर्दर्शन को अथवा स्वप्न या जागृत अवस्था में उन्हें देखने को साक्षात्कार कहा जा सकता है? वह साक्षात्कार न होकर अनुभव होगा।...
मुझे इतना डर क्यों लगता है? क्योंकि तुम्हारा ख्याल है कि मैं तुम्हारे ऊपर अपनी इच्छा लादना चाहती हूं; लेकिन यह गलत है। इसके विपरीत,...
नींद ऐसा विद्यालय है जिसमें से मनुष्य को गुजरना पड़ता है अगर वह यह जानता है कि वहां अपने पाठ को कैसे सीखा जाये, ताकि...
यह मानना भ्रान्ति या अन्धविश्वास है कि कोई बाहरी चीज या परिस्थिति किसी भी चीज का कारण हो सकती है। सभी चीजें और परिस्थितियां उस...
थके बिना काम करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि चाहे जो भी काम हो उसे भगवान् के अर्पण कर दो और तुम्हें जिस...
पापी की सहायता के लिए ‘कृपा’ कैसे आ सकती है भला? वह पापी को पापी बने रहने में सहायता नहीं करती! वह उसके पाप से...
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये, तुम्हें उसका सामना साहस, शान्ति, भरोसे और इस निश्चिति के...
परम शक्ति सभी गतिविधियों को हाथ में ले रही है। वह उन्हें सत्य में बदल देगी। किसी प्रयास की जरूरत नहीं, मन से या किसी...