
आध्यात्मिक जीवन कैसे जिया जाये
…. आध्यात्मिक जीवन जीने का अर्थ है अपने अन्दर दूसरे जगत के प्रति खुलना। यह मानों अपनी चेतना को उलटना है। साधारण मानव- चेतना, यहां...
…. आध्यात्मिक जीवन जीने का अर्थ है अपने अन्दर दूसरे जगत के प्रति खुलना। यह मानों अपनी चेतना को उलटना है। साधारण मानव- चेतना, यहां...
वर्तमान राजनीति में भारत को क्या कोई विशेष भूमिका निभानी है ? . . . भारत को जगत में एक भूमिका निभानी है । लेकिन...
विरोधी शक्तियों को संसार में इसीलिए सहा जाता है क्योंकि वे मनुष्य की सच्चाई की परख करती हैं। जिस दिन मनुष्य पूरी तरह सच्चा हो...
भगवान् के बाहर सब कुछ मिथ्या, भ्रान्ति और दुःखपूर्ण अंधकार है। भगवान् में हैं जीवन, प्रकाश और आनन्द । भगवान् के अन्दर ही परम शान्ति...
सच्ची बुद्धि पाने के लिए अपने मन से बाहर निकलो । सच्ची अनुभूति पाने के लिए संवेदनों से बाहर निकलो । सच्ची क्रियाशीलता पाने...
यदि तुम रोग मुक्त होना चाहते हो तब दो शर्तें हैं। पहला, तुम्हें भय से मुक्त होना होगा, नितान्त निर्भीक, समझते हो न ! और...
भगवान के प्रति सच्चे और निष्कपट निवेदन में ही हम अपने अति-मानवीय दुखों से छुटकारा पा सकते हैं । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
लोग मुझसे नहीं, मेरे बारे में अपने ही बनाये हुए मानसिक और प्राणिक रूप से प्रेम करते हैं। मुझे इस तथ्य का अधिकाधिक सामना करना...
. . . मैं यहाँ भौतिक उदारता की चर्चा नहीं करूँगी जिसका स्वाभाविक स्वरूप है अपने पास जो कुछ हो उसे दूसरों को देना। परंतु...
’भागवत कृपा’ कार्य करने के लिए हमेशा मौजूद है लेकिन तुम्हें उसे कार्य करने देना चाहिये, उसकी क्रिया का प्रतिरोध नहीं करना चाहिये। एकमात्र आवश्यक...