
क्रोध
क्रोध में कभी कोई समझदारी की बात नहीं की जाती, सिर्फ मूर्खता ही निकलती है । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -२)
क्रोध में कभी कोई समझदारी की बात नहीं की जाती, सिर्फ मूर्खता ही निकलती है । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -२)
मधुर माँ , जब कोई नया आदमी आकर पूछें कि श्रीअरविंदआश्रम क्या हैं, तो हम ऐसा क्या जवाब दे सकते हैं जो संक्षिप्त भी हो...
जब तुम अपने-आपको किसी नि:स्वार्थ कार्य की परिपूर्णता के लिये सौंप देते हो तो कभी सामान्य लोगों से प्रशंसा या सहायता की आशा न करो।...
श्रीमाँ दोनों तरीकों से देती हैं – नेत्रों के द्वारा चैत्य को प्रदान करती हैं और अपने हाथों द्वारा भौतिक वस्तुएँ देती हैं। संदर्भ :...
अगर तुम बीमार पड़ते हो तो तुम्हारी बीमारी की इतनी व्याकुलता और भय से देख-रेख की जाती है, तुम्हारी इतनी परिचर्या की जाती है कि...
भूतकाल के बारे में सोचते रहना बिलकुल गलत है । सच्ची विधि तो यह याद रखना है कि भगवान की इच्छा के बिना कुछ नहीं...
एक ऐसी सच्चाई जो समझौता नहीं करतीं, आध्यात्मिक उपलपब्धि का सबसे निश्चित मार्ग है । ढोंग न करो, हो जाओ । वचन मत दो, क्रिया...
अगर लोगों को पूर्ण होने की वजह से काम को बंद कर देना पड़े तो हर व्यक्ति को पूरी तरह काम बंद कर देना पड़ेगा...
जो दोषहीन है वह दूसरों की राय की परवाह नहीं करता । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
तुम औरों की मनोभावनाओं और सनको का अपने ऊपर असर नहीं पड़ने देते – यह बात बिलकुल ठीक है। तुम्हें इस सबसे ऊपर उठकर भगवान...