
चेतना का परिवर्तन
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या होता है ? सामान्य अज्ञानभरी मानव चेतना से निकल कर...
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या होता है ? सामान्य अज्ञानभरी मानव चेतना से निकल कर...
यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को, भौतिक जीवन में प्रभु की पूजा को, तो यह आश्चर्य...
अहंकार उसके बारे में सोचता है जो उसके पास नहीं है और जिसे वह चाहता है। यही उसका निरन्तर मुख्य काम है । अन्तरात्मा जानती...
भागवत कृपा मौजूद है – अपने द्वार खोलो और उसका स्वागत करो। मेरे प्रेम और आशीर्वाद सहित । संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
मधुर माँ, आप अपने ‘वार्तालाप’ में कहती हैं कि हमें सच्ची आध्यात्मिक अनुभूति पाने के लिए डुबकी लगानी चाहिये। क्या उसे केवल अभीप्सा द्वारा पाना...
मधुर माँ, हम मन की एकाग्रता और इच्छा-शक्ति को कैसे बढ़ा सकते हैं? कुछ भी करने के लिए वे बहुत ज़रूरी हैं ? नियमित, अध्यवसायपूर्ण,...
सदा सीखना, बोद्धिक नहीं मनोवैज्ञानिक रूप से, स्वभाव में प्रगति करना, अपने अंदर गुण पैदा करना और दोष ठीक करना ताकि हर चीज़ हमें अज्ञान...
प्रश्न ) कपट को समाज की तरफ से इतना बढ़ावा क्यों मिलता है ? उ.) क्योंकि समाज पर सफलता की सनक सवार होती है ।...
आघात और परीक्षाएँ हमेशा भागवत कृपा के रूप में हमें अपनी सत्ता में वे बिन्दु दिखाने आती हैं जहां हमारे अंदर कमी है और जिन...
संतुलन अनिवार्य है, जो पथ सावधानतापूर्वक विपरीत चरमावस्थाओं से बचता है वह अनिवार्य है, अत्यधिक जल्दबाज़ी खतरनाक है, अधैर्य आगे बढ्ने से तुम्हें रोकता है;...