
सृष्टि की प्रसव वेदना
१९१९ में श्रीअरविंद ने लिखा था कि अस्तव्यसत्ता और विपत्तियाँ शायद एक नयी सृष्टि की प्रसव-वेदना हैं। यह स्थिति कब तक चलती रहेगी? यह वेदना...
१९१९ में श्रीअरविंद ने लिखा था कि अस्तव्यसत्ता और विपत्तियाँ शायद एक नयी सृष्टि की प्रसव-वेदना हैं। यह स्थिति कब तक चलती रहेगी? यह वेदना...
… सबसे बढ़ कर आवश्यक गुण है लगन, सहिष्णुता, और… उसे क्या नाम दें? एक प्रकार का आन्तरिक प्रसन्न-भाव जो निरुत्साहित न होने में, उदास...
भगवान स्वयं मार्ग पर चल कर मनुष्यों को राह दिखाने के लिए मनुष्य का रूप धारण करते हैं और बाहरी मानव-प्रकृति को स्वीकार करते हैं।...
सभी परिस्थितियों में मुस्कुराना जानना भागवत प्रज्ञा की ओर जाने का सबसे शीघ्रगामी रास्ता है। अहंकार नाराज और बेचैन हो उठता है और यही अहंकार...
मधुर माँ, आपने मुझे आशीर्वाद दिया है कि मैं सत्य-जीवन में जन्म लूँ, लेकिन ऐसा जन्म लेने कि क्या शर्तें हैं और उन्हें...
कोई महत्वकांक्षा न रखो, और सबसे बढ़ कर यह कि कभी किसी चीज़ का दावा न करो, हर क्षण, तुम अधिक-से-अधिक जो हो सकते हो...
मधुर माँ, हम अपने मन को सब विचारों से खली कैसे कर सकते हैं? जब हम ध्यान में इसके लिए प्रयास करते हैं तो हमेशा...
सम्भ्वन की शाश्वतता में प्रत्येक अवतार एक अधिक पूर्ण सिद्धि का उद्घोषक और अग्रदूत होता है। फिर भी लोगों में हमेशा यह वृत्ति रहती है...
तुम्हें आंतरिक परिवर्तन के लिए निरंतर अभीप्सा करनी चाहिये, तुम्हारें अंदर यह इच्छा होनी चाहिये कि प्रकाश तुम्हारें अंधेरे भौतिक मन में आये, और तुम्हें...
‘सत्य’ मिथ्यात्व से बढ़ कर बलवान है। एक अमर ‘शक्ति’ जगत पर शासन करती है। उसके निश्चय हमेशा सफल होते हैं। उसके साथ हो जाओ...