
नमन
मेरे मौन और विनम्र पूजा-भाव के साथ प्रणाम … । मैं तेरी महिमा के आगे नमन करती हूँ क्योंकि वह अपनी सारी भव्यता के साथ...
मेरे मौन और विनम्र पूजा-भाव के साथ प्रणाम … । मैं तेरी महिमा के आगे नमन करती हूँ क्योंकि वह अपनी सारी भव्यता के साथ...
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो-यह तुम्हें रूपांतर के मार्ग पर दूर तक ले जायेगा। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
पूर्णयोग का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति इस भौतिक जगत् को सदा के लिए इसके भाग्य पर छोड़ कर इससे भाग खड़ा हो, न...
कुछ समय से मुझे आन्तरिक और बाह्य विक्षोभ के कारण नींद में कुछ परेशानी हो रही है। मैं आपसे सहायता के लिए प्रार्थना करता हूँ...
हे दिव्य स्वामी, वर दे कि हमारे लिए यह दिन, तेरे विधान के प्रति अधिक पूर्ण उत्सर्ग की ओर उद्घाटन हो, तेरे कर्म के प्रति...
सभी अग्नि-परीक्षाओं के लिए कृतज्ञ होओ क्योंकि वे भगवान की ओर ले जाने वाले छोटे-से-छोटे रास्ते हैं। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – २)
१. पूरा-पूरा आत्म-संयम, केवल इतना ही नहीं कि अपना क्रोध न दिखलाओ, बल्कि सभी परिस्थितियों में पूरी तरह शान्त. स्थिर और अविचल बने रहना। २....
जो भगवान का है उसे भला किसका डर हो सकता है ? क्या वह भगवान के बताये मार्ग पर – चाहे वह उसकी सीमित तर्क-बुद्धि...
तुम्हारी आन्तरिक अवस्था रोग का कारण तब बनती है जब उसमें कोई प्रतिरोध या विद्रोह हो अथवा जब तुम्हारे अन्दर कोई ऐसा भाग हो जो...
श्रीअरविंद कहते हैं कि तुम्हे सबसे पहले अपने विषय में सचेतन होना चाहिये, फिर सोचना, और फिर कार्य करना चाहिये। सभी कार्यों से पहले सत्ता...