
हर किसी के पास मत जाओ
जो लोग इस कारण यातना भोगते हैं कि उन्हें किसी तथाकथित संन्यासी से परिचित होने का दुर्भाग्य प्राप्त हुआ था, उनकी संख्या प्रचुर है, प्रचुर।...
जो लोग इस कारण यातना भोगते हैं कि उन्हें किसी तथाकथित संन्यासी से परिचित होने का दुर्भाग्य प्राप्त हुआ था, उनकी संख्या प्रचुर है, प्रचुर।...
तुम दुःखी, बहुत उदास, निरुत्साहित और अप्रसन्न हो जाते हो : “आज चीज़ें अनुकूल नहीं है। वे कल जैसी नहीं हैं, कल वे कितनी अद्भुत...
जब कोई भूल हो तो उसका हमेशा प्रगति करने के लिए उपयोग करना चाहिये, एक बार आवश्यक परिवर्तन हो जाये तो भूल और उसके कारण...
मैं तुम्हें एक चीज की सलाह देना चाहती हूँ। अपनी प्रगति की इच्छा तथा उपलब्धि की अभीप्सा में इसका ध्यान रखो कि कभी शक्तियों को...
जिसने एक बार अपने-आपको भगवान् के अर्पण कर दिया उसके लिए इसके सिवा कोई और कर्तव्य नहीं रहता कि वह अपने समर्पण को अधिकाधिक पूर्ण...
जो व्यक्ति पूर्ण योग की साधना करना चाहता है उसके लिये मानवजाति की भलाई अपने-आप मे लक्ष्य नहीं हो सकती, यह तो केवल एक परिणाम...
भगवान् क्या है? तुम श्रीअरविन्द के अन्दर जिनकी आराधना करते हो वे हीं भगवान् हैं । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – १)
जिन घटनाओं की हम प्रतीक्षा नहीं करते, जिनकी हम आशा या इच्छा नहीं करते, जो हमारी इच्छाओं के विरुद्ध होती है उन्हें ही हम अज्ञानवश...
तुम जिन भौतिक चीजों का उपयोग करते हो उनको ठीक से सम्भाल कर न रखना निश्चेतना और अज्ञान का चिह्न है । अगर तुम भौतिक चीज...
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि तुम्हें अपने हृदय के केंद्र में पाना संभव है ।...