श्री माँ के वचन

बुरें विचारों का उफान

मधुर माँ, समय-समय पर बुरे विचारों का उफान आ जाता है; मेरा मन आवेशों का दलदल बन जाता है जिसमें…

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प्रार्थना क्यों ?

... बहुत कठोर युक्ति-तर्कवाले लोग तुमसे कहते हैं : “तुम प्रार्थना क्यों करते हो? तुम अभीप्सा क्यों करते हो? तुम…

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विलाप मत करों

परिस्थितियाँ अवसर भले हों पर निश्चित रूप से, कारण नहीं हो सकती । कारण 'भागवत' इच्छा में है और उसे कुछ…

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शरीर को छोड़ना कोई हल नहीं

चूंकि मेरी प्रकृति कमजोर है इसलिए साधारण चीजों को त्यागना कठिन हो जाता है। लेकिन, यह निश्चित है कि मैं…

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हमारा लक्ष्य

हमारा लक्ष्य है अपनी सत्ता की पूर्णता को चरितार्थ करना और मानव पशु को भागवत मनुष्य में बदल देना ।…

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शांत रहो

शांत रहो और देखो। परिणाम निश्चित है - उपाय और समय निश्चित नहीं है । आशीर्वाद | संदर्भ : श्रीमातृवाणी…

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विनय

तुम बहुत बुद्धिमान होते जा रहे हो और इस उपलब्धि के नजदीक आते जा रहे हो कि हम कुछ नहीं…

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अपमान और तिरस्कार

अपमान, तिरस्कार से ऊपर उठ जाने से आदमी सचमुच बड़ा हो जाता है । संदर्भ : माताजी के वचन(भाग-२)

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आत्महत्या

यह निश्चित रूप से जानो कि मनुष्य जो कर सकता है उसमें आत्महत्या सबसे अधिक मूर्खतापूर्ण क्रिया है, क्योंकि शरीर…

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निरोगी होने के लिए

मेरे बच्चे, निरोग होने के लिए केवल इन अनुचित अभ्यासों को पूरी तरह बन्द करना ही अनिवार्य नहीं हैं बल्कि…

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