
मेरी मित्र
सावित्री अग्रवाल ने १९४० के दशक के आरंभ में जब प्रथम बार श्रीअरविंद और श्रीमाँ के दर्शन किये तभी उन्होने निर्णय लिया कि उस दिन...
सावित्री अग्रवाल ने १९४० के दशक के आरंभ में जब प्रथम बार श्रीअरविंद और श्रीमाँ के दर्शन किये तभी उन्होने निर्णय लिया कि उस दिन...
श्री पृथ्वीसिंह नाहर की पुत्रवधू राजसेना अपने तीन नन्हें-मुन्नों को लेकर आश्रम में रहती थीं। एक दिन उसकी तीन वर्षीया पुत्री लूसी अपनी सहेली गौरी...
लता जौहर बचपन में प्रखर स्वभाव की बालिका थी। लगभग ५० वर्ष पूर्व की बात है, एक दिन बालिका लता किसी बात पर कुपित हो...
एक बार जब गार्गी अपने जन्मदिन पर श्रीमाँ को प्रणाम करने गयी तब वह बोल उठी, “माँ, मैं आपसे सतत और सचेतन रूप से एक...
गार्गी के पेट अक्सर खराब हो जाता था। श्रीमाँ ने उसके लिए एक नन्हा, प्यारा-सा कार्ड भेजा, उस पर एक मज़ाकिया खरगोश का कार्टून-चित्र बना...
लुधियाना निवासी महाराज किशन ढंढा श्रीमाँ के भक्त हैं। एक दिन उनके परिवार के कुछ बच्चे खेल रहे थे । अचानक पास रखे हुए कुछ...
श्रीमाँ पुराने वस्त्रों का रफ़ू कराके तथा पैबंद लगवाकर उपयोग करती थी। जो रुमाल फट जाते या आश्रम में इधर-उधर पड़े हुये मिलते उनकी मरम्मत...
श्रीमाँ ने आश्रम के मुख्य भवन में निवास करने वाले समर्पित साधक स्वर्गीय बुला से कहा था कि रात के समय कोई समाधि पर न...