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श्रीअरविंद के वचन

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शाश्वत भगवान की प्राप्ति
550

शाश्वत भगवान की प्राप्ति

by श्रीअरविंद 3 घंटे ago2 दिन ago
योग
450

योग

by श्री माँ 1 दिन ago2 दिन ago
  • 190
    महायोगी महर्षि श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    विनोदप्रियता

    आध्यात्मिक पूर्णता में क्या विनोदप्रियता का कोई स्थान है ? अगर कोई सिद्ध कभी नहीं हँसता तो वह उसकी अपूर्णता है । संदर्भ : कारावास...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 820
    महर्षि श्रीअरविंद का गीता प्रकाश
    श्रीअरविंद के वचन

    भगवान क्या चाहते हैं…

    तुम क्या चाहते हो इसे तुम्हें अलग रख देना होगा, और यह जानने की इच्छा करनी होगी कि भगवान क्या चाहते हैं; तुम्हारा हृदय, तुम्हारी...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 870
    श्रीअरविंद और श्री कृष्ण
    श्रीअरविंद के वचन

    श्रीकृष्ण में निवास

    श्रीकृष्ण में निवास करने पर शत्रुता भी प्रेम की ही एक क्रीडा तथा भाइयों का मल्ल्युद्ध बन जाती है । संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 870
    श्रीअरविंद आश्रम की अधिस्थत्री श्री माँ
    श्रीअरविंद के वचन

    सदा सही काम

    तुम सदा सही काम कर सको इसके लिए यदि तुम बहुत अधिक चाहते हो कि तुम्हें चेतना मिले और इसके लिए तुम अभीप्सा भी करते...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 360
    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ दर्शन देते हुये
    श्रीअरविंद के वचन

    आध्यात्मिक जीवन में सफलता

    सामान्य जीवन से बस व्याकुलता भरा असंतोष इस योग के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं है। आध्यात्मिक जीवन में सफलता पाने के लिए एक निश्चित आंतरिक...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 1910
    महर्षि श्रीअरविंद का अंतिम दर्शन
    श्रीअरविंद के वचन

    अतिमानव होने का अर्थ

    अतिमानव होने का अर्थ है, दिव्य जीवन जीना, देव होना, क्योंकि देवगण भगवान् की शक्तियाँ हैं। वह मानवता के बीच भगवान् की शक्ति है। भागवत...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्रीअरविंद के वचन

    कामनाएँ

    यदि अच्छी कामनाएँ हैं तो बुरी कामनाएँ भी आयेंगी। संकल्प और अभीप्सा तो साधना के अंग हैं, लेकिन कामना के लिए स्थान नहीं है। अगर...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 140
    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    श्रद्धास्पद वस्तु

    अधिकतर मनुष्यों की आध्यात्मिक उन्नति बाह्य आश्रय की, अर्थात् उनसे बाहर विद्यमान किसी श्रद्धास्पद वस्तु की अपेक्षा करती है। उन्हें अपनी उन्नति के लिए ईश्वर...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ
    श्रीअरविंद के वचन

    रोग का उद्देश्य

    प्रत्येक रोग स्वस्थता के किसी नवीन आनंद की ओर जाने का एक पथ है, प्रत्येक अमंगल और दुख-ताप  प्रकृति का किसी अधिक तीव्र आनंद और...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 440
    श्री माँ का सुंदर चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    सतत ‘उपस्थिती’

    हमेशा ऐसे जियो मानों तुम ‘परम प्रभु’ तथा  ‘भगवती माँ’ की दृष्टि के सामने हो। ऐसी कोई क्रिया न करो, ऐसी कोई चीज सोचने या...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago

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3 conditions of yoga auroville bases of yoga Mirra Alfassa Priti Das Gupta Sri Aurobindo Ashram sri aurobindo The Mother The Mother of Sri Aurobindo Ashram Pondicherry The Mother on Sports अध्यात्मिकता आंरोंविल आश्वासन कृपा निद्रा और स्वप्न पूर्ण योग प्रीति दास गुप्ता भागवत उपस्थिती भारत के लिये संदेश माताजी की झाकियां माताजी के वचन भाग-१ माताजी के वचन भाग-२ माताजी के वचन भाग - ३ माताजी के विषय में मातृवाणी योग योग समन्वय यौवन वयवहारिक ज्ञान साधकों के लिये विचार और सूत्र के प्रसंग में विश्वास व्यावहारिक ज्ञान साधकों के लिये शिक्षा के ऊपर श्रद्धा श्री अरविंद श्रीअरविंद श्रीअरविंद के वचन श्री अरविद श्री माँ श्री माँ अपने बारे में श्री माँ के बारें में श्री माँ के बारे में श्री माँ के संस्मरण श्री माँ शरीर के बारें में साधना साधना के संकेत श्री माँ द्वारा
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    शाश्वत भगवान की प्राप्ति

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    योग

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    भगवती माँ की कृपा

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    श्रीमाँ का कार्य

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    जीवन का उद्देश्य

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    दुश्मन को खदेड़ना

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    आलोचना की आदत

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    कृतज्ञता

    कृतज्ञता

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    अनुशासन

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    भागवत मुस्कान का ध्यान

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    मनोबल

    मनोबल

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    तुम्हारा चुनाव

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    खिन्नता

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    मेरी इच्छा

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    ज्ञान

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    मानसिक रूपायण

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  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    नयी चीज़ का डर

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