
विनोदप्रियता
आध्यात्मिक पूर्णता में क्या विनोदप्रियता का कोई स्थान है ? अगर कोई सिद्ध कभी नहीं हँसता तो वह उसकी अपूर्णता है । संदर्भ : कारावास...
आध्यात्मिक पूर्णता में क्या विनोदप्रियता का कोई स्थान है ? अगर कोई सिद्ध कभी नहीं हँसता तो वह उसकी अपूर्णता है । संदर्भ : कारावास...
तुम क्या चाहते हो इसे तुम्हें अलग रख देना होगा, और यह जानने की इच्छा करनी होगी कि भगवान क्या चाहते हैं; तुम्हारा हृदय, तुम्हारी...
श्रीकृष्ण में निवास करने पर शत्रुता भी प्रेम की ही एक क्रीडा तथा भाइयों का मल्ल्युद्ध बन जाती है । संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली...
तुम सदा सही काम कर सको इसके लिए यदि तुम बहुत अधिक चाहते हो कि तुम्हें चेतना मिले और इसके लिए तुम अभीप्सा भी करते...
सामान्य जीवन से बस व्याकुलता भरा असंतोष इस योग के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं है। आध्यात्मिक जीवन में सफलता पाने के लिए एक निश्चित आंतरिक...
अतिमानव होने का अर्थ है, दिव्य जीवन जीना, देव होना, क्योंकि देवगण भगवान् की शक्तियाँ हैं। वह मानवता के बीच भगवान् की शक्ति है। भागवत...
यदि अच्छी कामनाएँ हैं तो बुरी कामनाएँ भी आयेंगी। संकल्प और अभीप्सा तो साधना के अंग हैं, लेकिन कामना के लिए स्थान नहीं है। अगर...
अधिकतर मनुष्यों की आध्यात्मिक उन्नति बाह्य आश्रय की, अर्थात् उनसे बाहर विद्यमान किसी श्रद्धास्पद वस्तु की अपेक्षा करती है। उन्हें अपनी उन्नति के लिए ईश्वर...
प्रत्येक रोग स्वस्थता के किसी नवीन आनंद की ओर जाने का एक पथ है, प्रत्येक अमंगल और दुख-ताप प्रकृति का किसी अधिक तीव्र आनंद और...
हमेशा ऐसे जियो मानों तुम ‘परम प्रभु’ तथा ‘भगवती माँ’ की दृष्टि के सामने हो। ऐसी कोई क्रिया न करो, ऐसी कोई चीज सोचने या...