श्रीअरविंद के वचन

भोजन अर्पण करने का तात्पर्य

'मातृवाणी' में आये हुए इस वाक्य से माताजी का क्या मतलब है : "जब तुम खाते हो तब तुम्हें यह…

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माताजी की शक्ति

माताजी की शक्ति शरीर में पूर्ण रूप से कार्य करे इसके लिये यह आवश्यक है कि केवल मन में ही…

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आश्रम में रहना पर्याप्त नहीं

नहीं, आश्रम में रहना पर्याप्त नहीं है - व्यक्ति को श्रीमाँ के प्रति उद्घाटित होना होगा और उस कीचड को…

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विजय का आश्वासन

इस विषय में निस्संदिग्ध रहो कि तुम्हें इस पथ पर ले जाने के लिये माताजी सदा तुम्हारें साथ रहेगी। कठिनाइयाँ…

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उच्च अभीप्सा

अपनी सभी गतिविधियों में संकल्प के पूर्ण समर्पण के माध्यम से भागवत उपस्थिती तथा शक्ति के साथ अपनी आत्मा का…

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हमारी भूल

हमारी भूल यह हुई है और बराबर ही रही है कि हम अज्ञानी जीवन की बुराइयों से बचने के लिये…

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एक प्रार्थना

एक प्रार्थना, एक श्रेष्ठ कर्म, एक उत्कृष्ट उद्भावना कर सकती है युक्त मानव-बल को, एक परात्पर शक्ति से । संदर्भ…

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चिंतन

यदि तू अंत्यन्त घृणित कीट तथा अत्यन्त अधम अपराधी को प्यार नहीं कर सकता तब भला तू यह कैसे विश्वास…

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जीवंत भगवान

जो ज्ञान तुझे जीवन में प्राप्त है बस वैसा ही बन और उसी को जीवन में उतार; तभी तेरा ज्ञान…

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मेरा स्पर्श

मेरा स्पर्श सदैव बना रहता है; बस तुम्हें उसे अनुभव करना सीखना होगा। न केवल किसी माध्यम द्वारा -  जैसे…

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