श्रीअरविंद के वचन

काम में रस

आपने लिखा था, "काम में रस होना चाहिये। " लेकिन मैं पूर्ण रस या मजा नहीं ले पाता।  कार्य की…

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आश्रम की सीमाएं

आश्रम का परिवेश, उसकी सीमाएं क्या हैं ? वह प्रत्येक घर जिसमें साधक रहते हैं आश्रम की सीमा के अंदर…

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आध्यात्मिक जीवन की पहली आवश्यकता

...विनम्रता पहली आवश्यकता है, क्योंकि जिसमें अहंकार और घमण्ड है वह परम या उच्चतम की सिद्धि नहीं पा सकता। संदर्भ…

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वैराग्य का प्रशिक्षण

न कोई आनंद, न बल। पढ़ने-लिखने की इच्छा भी नहीं होती-मानो कोई मुर्दा आदमी चल - फिर रहा हो। आप…

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योग क्या है

भगवान के साथ सम्बंध स्थापित करना योग है, परम आनंद है तथा श्रेष्ठतम उपयोगिता है। मानवता की पहुँच के अंदर…

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जन्म का चमत्कार

मैंने देखा मेरी आत्मा है एक यात्री , काल के आर-पार ; जीवन, प्रति जीवन करती ब्रह्मांड-पथ पर पद-सञ्चार, अतलान्तों…

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पवित्रता

जो जीव नग्न और लज्जाविहीन होता है केवल वही पवित्र और निर्दोष हो सकता है, ठीक जैसे कि मानवता के…

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अंदर का ज्ञान

जब हमारे अंदर का ज्ञान नया होता है तब वह अजेय होता है; जब वह पुराना हो जाता है तब…

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कैसे खुला जाये ?

भगवती माँ की और कैसे खुला जाये ? शांत मन में श्रद्धा और समर्पण द्वारा । संदर्भ : माताजी के…

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चैत्य पुरुष

यदि चैत्य पुरुष प्रकट हो तो वह तुमसे अपने प्रति नहीं, बल्कि माताजी के प्रति आत्मसमर्पण करने को कहेगा। संदर्भ…

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