श्रीमाँ का संदेश
११ अप्रैल १९७३ . . . माँ, दर्शन के लिए आपको हमें एक संदेश देना है (२४ अप्रैल का दर्शन) । ( मौन के बाद...
११ अप्रैल १९७३ . . . माँ, दर्शन के लिए आपको हमें एक संदेश देना है (२४ अप्रैल का दर्शन) । ( मौन के बाद...
एक बार हैदराबाद में भारी सूखा पड़ा। लोगों ने यज्ञ कराए, संत-फ़क़ीरों से सहायता ली किंतु वर्षा की एक बूँद भी नहीं गिरी। अकाल पड़ने...
. . . बहुत कम लोग हैं, बहुत ही कम, उनकी संख्या न के बराबर है, जो सच्ची धार्मिक भावना के साथ गिरजाघर या मंदिर...
अंदर की बेचैनी ही तुम्हें आंतरिक और बाह्य रूप से नींद लेने से रोकती हैं। अच्छी नींद के लिए मन, प्राण और शरीर को भी...
किसी बच्चे को देने-लायक़ सबसे अनमोल उपहार है उसमें सीखने के लिए ललक पैदा करना, हमेशा और हर जगह सीखते रहना। संदर्भ : शिक्षा के...
पूर्ण अचेतनता नाम की कोई चीज़ नहीं है – नितान्त अज्ञान जैसी, निपट रात जैसी कोई चीज़ नहीं। समस्त अवचेतनता के पीछे, समस्त अज्ञान के...
कथनी नहीं – करनी । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
काम में व्यवस्था और सामंजस्य होने चाहियें। जो काम यूँ देखने में बिलकुल नगण्य हो उसे भी पूर्ण पूर्णता के साथ, सफ़ाई, सुंदरता, सामंजस्य और...
मधुर माँ, आपने बहुत बार कहा है कि हमारे क्रिया-कलाप भगवान के प्रति उत्सर्ग होने चाहियें । इसका ठीक-ठीक अर्थ क्या है और...