भागवत विरक्ति
मधुर मां, “भागवत विरक्ति” क्या है? ओह, मेरे बच्चे! (मौन) यह ऐसी विरक्ति है जो असीम करुणा से भरपूर है। यह ऐसी चीज़ है जो...
मधुर मां, “भागवत विरक्ति” क्या है? ओह, मेरे बच्चे! (मौन) यह ऐसी विरक्ति है जो असीम करुणा से भरपूर है। यह ऐसी चीज़ है जो...
क्या तुम्हें नहीं लगता कि इस संसार में कुत्सित वस्तुएँ पर्याप्त हैं और इसकी कोई आवश्यकता नहीं कि कोई व्यक्ति पुस्तकों में उनका चित्रण करे?...
यदि जो होने वाला है उसकी परिस्थिति में तुम अपने लिए अधिक-से-अधिक सम्भव ऊंची मनोवृत्ति अपना सको अर्थात्, यदि तुम अपनी चेतना को अपनी पहुंच...
ऐसा लगता है कि कुछ लोगों ने ऐसा समझा कि मैं यह घोषणा कर रही हूँ कि अतिमानस अभी दस लाख वर्षों तक नहीं आयेगा!...
होना यह चाहिये कि सारा अतीत हमेशा ऐसे पायदान या सीढ़ी की तरह हो जो तुम्हें आगे ले जाये, जिसका मूल्य केवल यही है कि...
यदि कोई कहे : “मुझे परिणाम के विषय में निश्चय है, मैं जानता हूं कि मैं जो चाहता हूं वह भगवान् मुझे देंगे,” तो क्या...
क्या चेतना के सुधार से आदमी की आर्थिक स्थिति सुस्थिर हो जाती है ? यदि ”चेतना के सुधार” का मतलब है बढ़ी हुई, विशालतर चेतना,...
मुलतः धम्मपद के सूत्रों से यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति के लिए दिखायी देने की अपेक्षा होना अधिक आवश्यक है। उसे जीना चाहिये न...
मधुर माँ, हम अपनी सत्ता को एक कैसे कर सकते हैं? पहला चरण है, अपने अन्दर गहराई में कामनाओं और आवेशों के पीछे एक ज्योतिर्मयी...
साधारण जीवन में लाखों में से एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं होता जिसका अपनी चैत्य चेतना के साथ सचेतन सम्पर्क हो, भण-भर के लिए भी।...