श्रीअरविंद का कार्य
श्रीअरविंद परम पुरुष के यहाँ से धरती पर एक नयी जाति और एक नए जगत – ‘अतिमानसिक ‘-की घोषणा करने आये है। आओ, हम पूरी...
श्रीअरविंद परम पुरुष के यहाँ से धरती पर एक नयी जाति और एक नए जगत – ‘अतिमानसिक ‘-की घोषणा करने आये है। आओ, हम पूरी...
कोई संस्था प्रगतिशील हुए बिना जीवित नहीं रह सकती । सच्ची प्रगति है हमेशा ‘भगवान’ के अधिक निकट आना । हर गुजरता हुआ वर्ष पूर्णता...
अपनी अशुद्धियों के बारें में बहुत अधिक सोचते रहने से सहायता नहीं मिलती। अच्छा तो यही है कि अपने मन को शुद्धि, ज्योति और शांति...
मेरी प्यारी माँ, मेरा हृदय तुम्हारें चरणों की ओर दौड़ना चाहता है और अपने-आपको तुम्हारे अन्दर खो देना चाहता है । मैं यही चाहता हूँ,...
‘तेरे’ आगे नीरवता में बीते कुछ क्षण आनंद की शताब्दियों के बराबर हैं। … ओह ! कितना मधुर है नीरवता में ‘तेरे’ आगे उपस्थित रहना...
… कम-से-कम दो बार प्रतिदिन, नीरवता प्राप्त करने का अभ्यास करना सर्वदा ही बहुत अच्छा है, परंतु वह सच्ची नीरवता होनी चाहिये, केवल बातचीत बन्द...
हे तू, एकमात्र परम सद्वस्तु, हमारे प्रकाश के प्रकाश और हमारे जीवन के जीवन, हे परम प्रेम, हे संसार के त्राता, वर दे कि मैं...
माताजी, हर बार जब मैं अपनी चेतना में जरा उठने की कोशिश करता हूँ तो एक धक्का-सा लगता है और ऐसा मालूम होता है कि...
सहन करना श्रेष्ठ भाव से भरपूर होना है ; इसका स्थान पूर्ण समझ को लेना चाहिये। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
कोई संगठन ठीक तरीके से चलें इसके लिए आवश्यक शर्तें है कि एक स्पष्ट और यथार्थ दृष्टि हो कि क्या करना है, और उसें कार्यान्वित...