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श्री माँ

Posted by श्री माँ

  • 380
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    पूर्णयोग का अर्थ

    पूर्णयोग का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति इस भौतिक जगत् को सदा के लिए इसके भाग्य पर छोड़ कर इससे भाग खड़ा हो, न...

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago8 महीना ago
  • 320
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    नींद में परेशानी

    कुछ समय से मुझे आन्तरिक और बाह्य विक्षोभ के कारण नींद में कुछ परेशानी हो रही है। मैं आपसे सहायता के लिए प्रार्थना करता हूँ...

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago8 महीना ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सुबह की प्रार्थना

    हे दिव्य स्वामी, वर दे कि हमारे लिए यह दिन, तेरे विधान के प्रति अधिक पूर्ण उत्सर्ग की ओर उद्घाटन हो, तेरे कर्म  के प्रति...

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago8 महीना ago
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    श्री माँ श्रीअरविंद आश्रम की
    श्री माँ के वचन

    अग्नि परीक्षा

    सभी अग्नि-परीक्षाओं के लिए कृतज्ञ होओ क्योंकि वे भगवान की ओर ले जाने वाले छोटे-से-छोटे रास्ते हैं। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – २)

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago8 महीना ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सफल अध्यापक की विशेषताएँ

    १. पूरा-पूरा आत्म-संयम, केवल इतना ही नहीं कि अपना क्रोध न दिखलाओ, बल्कि सभी परिस्थितियों में पूरी तरह शान्त. स्थिर और अविचल बने रहना। २....

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago8 महीना ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    किसका भय

    जो भगवान का है उसे भला किसका डर हो सकता है ? क्या वह भगवान के बताये मार्ग पर – चाहे वह उसकी सीमित तर्क-बुद्धि...

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago8 महीना ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    बीमारी का सही कारण

    तुम्हारी आन्तरिक अवस्था रोग का कारण तब बनती है जब उसमें कोई प्रतिरोध या विद्रोह हो अथवा जब तुम्हारे अन्दर कोई ऐसा भाग हो जो...

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago8 महीना ago
  • 320
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सामान्य प्रक्रिया

    श्रीअरविंद कहते हैं कि तुम्हे सबसे पहले अपने विषय में सचेतन होना चाहिये, फिर सोचना, और फिर कार्य करना चाहिये। सभी कार्यों से पहले सत्ता...

    श्री माँ
    by श्री माँ 8 महीना ago9 महीना ago
  • 350
    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्री माँ के वचन

    सृष्टि की प्रसव वेदना

    १९१९ में श्रीअरविंद ने लिखा था कि अस्तव्यसत्ता और विपत्तियाँ शायद एक नयी सृष्टि की प्रसव-वेदना हैं। यह स्थिति कब तक चलती रहेगी? यह वेदना...

    श्री माँ
    by श्री माँ 9 महीना ago9 महीना ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ का दर्शन
    श्री माँ के वचन

    प्रसन्नचित्तता

    … सबसे बढ़ कर आवश्यक गुण है लगन, सहिष्णुता, और… उसे क्या नाम दें? एक प्रकार का आन्तरिक प्रसन्न-भाव जो निरुत्साहित न होने में, उदास...

    श्री माँ
    by श्री माँ 9 महीना ago9 महीना ago

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3 conditions of yoga auroville bases of yoga Mirra Alfassa Priti Das Gupta Sri Aurobindo Ashram sri aurobindo The Mother The Mother of Sri Aurobindo Ashram Pondicherry The Mother on Sports अध्यात्मिकता आंरोंविल आश्वासन कृपा निद्रा और स्वप्न पूर्ण योग प्रीति दास गुप्ता भागवत उपस्थिती भारत के लिये संदेश माताजी की झाकियां माताजी के वचन भाग-१ माताजी के वचन भाग-२ माताजी के वचन भाग - ३ माताजी के विषय में मातृवाणी योग योग समन्वय यौवन वयवहारिक ज्ञान साधकों के लिये विचार और सूत्र के प्रसंग में विश्वास व्यावहारिक ज्ञान साधकों के लिये शिक्षा के ऊपर श्रद्धा श्री अरविंद श्रीअरविंद श्रीअरविंद के वचन श्री अरविद श्री माँ श्री माँ अपने बारे में श्री माँ के बारें में श्री माँ के बारे में श्री माँ के संस्मरण श्री माँ शरीर के बारें में साधना साधना के संकेत श्री माँ द्वारा
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    भगवती माँ की कृपा

    भगवती माँ की कृपा

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    श्रीमाँ का कार्य

    श्रीमाँ का कार्य

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    भगवान की आशा

    भगवान की आशा

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    जीवन का उद्देश्य

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    दुश्मन को खदेड़ना

    दुश्मन को खदेड़ना

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    आलोचना की आदत

    आलोचना की आदत

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    कृतज्ञता

    कृतज्ञता

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    अनुशासन

    अनुशासन

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    भागवत मुस्कान का ध्यान

    भागवत मुस्कान का ध्यान

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    मनोबल

    मनोबल

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    तुम्हारा चुनाव

    तुम्हारा चुनाव

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    खिन्नता

    खिन्नता

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    मानसिक रूपायण

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    नयी चीज़ का डर

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    युवकों को आह्वान

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