अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को बनाये रख कर हम अपनें स्वभाव को परिवर्तित कर लेते...
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को बनाये रख कर हम अपनें स्वभाव को परिवर्तित कर लेते...
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है जब वह भगवान की ओर अभिमुख हो। जब तक वह...
माताजी और मैं दो रूपों में एक ही ‘शक्ति’ का प्रतिनिधित्व करते हैं – अतः स्वप्न में देखा हुआ तुम्हारा अंतरदर्शन पूरी तरह से तर्कसंगत...
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की कड़ी का काम दे सकते हैं, ऐसे पत्थर हैं। जो...
माताजी, मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब कोई मुझे खुशी से अपनी सुंदर और सुखद अनुभूतियों के...
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारत जगत में सबसे आगे का देश है। आध्यात्मिक उदाहरण प्रस्तुत करना ही उसका मिशन है। श्रीअरविंद जगत को यही सिखाने के...
प्यारी माँ, आपका प्रेम ही मेरे लिए सच्चा आश्रय और बल है। माँ, मैं आपको जो कुछ अर्पित करता हूँ वह एक गंदला मिश्रण है...
कौन कहता है कि एक पर्याप्त सच्ची अभीप्सा, एक पर्याप्त तीव्र प्रार्थना, उन्मीलन के मार्ग को बदलने में सक्षम नहीं है? इसका अर्थ है कि सब...
(महाकाली के कार्य के बारें मे माताजी का वक्तव्य) समस्त विनाश के पीछे, चाहे वे प्रकृति के भूकंप, ज्वालामुखी, तूफान, बाढ़ आदि विकट, असीम विनाश...
यदि सारे विश्व में मनुष्य जैसा दुर्बल कोई नहीं हैं तो उस जैसा दिव्य भी नहीं है । संदर्भ : मातृवाणी (भाग-२)