अब अपनी प्राण-सत्ता के द्वार पर यह नोटिस लगा दो : 'अब यहाँ किसी मिथ्यात्व का आना माना है।' और…
कई बार काम करते हुए मैं सोचा करता हूं कि आखिर इसका प्रयोजन क्या है? कृपया बतलाइये कि काम करते…
अवनति में कोई अनोखी बात नहीं। योगाभ्यास शुरू करने से बहुत पहले मेरे बारे में भी यह प्रसिद्ध था कि…
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र पाया जाता है। असत्य बात…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं कि उन्हें उनमें सुख प्राप्त…
ऐसा लगता है कि तुम्हारें अन्दर पुकार उठी है और संभवतः तुम योग करने के लिए उपयुक्त हो; लेकिन योग…
जो विफलता और अपूर्णता की निंदा करता है वह भगवान की निंदा कर रहा है; वह अपनी ही आत्मा को…
एकमात्र श्रीमाँ ही तुम्हारा लक्ष्य हैं। वे अपने अन्दर सब कुछ समाये हुये हैं। उनका पास होना अपने पास सब…
यह कब कहा जा सकता है कि व्यक्ति आन्तरिक रूप से माँ की वाणी सुनने को तैयार है ? जब…