आध्यात्मिक प्रगति

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आध्यात्मिक प्रगति बाह्य परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती, जैसी कि हम आन्तरिक रूप से परिस्थितियों के बारे में प्रतिक्रिया करते…

छेदवाला सिक्का – श्रीमाँ की कहानी

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पुराने जमाने में कुछ लोग सोचते थे कि एक कटे किनारों वाला सिक्का... वह ऐसा जमाना था जब सिक्कों में…

दुःख और कष्ट का मूल

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अप्रिय विचार अप्रिय भावनाएं लाते हैं--अप्रिय भावनाएं तुम्हें भगवान् से दूर ले जाती हैं और तुम्हें उस शैतान के हाथों…

भागवत करुणा और न्याय का कठघरा

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भूल या सजा देने का कोई प्रश्न ही नहीं है-अगर लोगों को हम उनकी भूलों के लिए अपराधी ठहरायें या…

गृहस्थ तथा सन्यासी

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यहाँ (श्रीअरविंद आश्रम) गृहस्थ तथा सन्यासी के बीच भेद करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता, क्योंकि हमारे लिए वह…

साहस और प्रेम

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साहस और प्रेम ही अनिवार्य गुण हैं; और यह सब गुण यदि धुँधले या निस्टेज पड़ जायें फिर भी ये…

मैं तेरा होना चाहता हूँ

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तुम्हारी चेतना की गहराइयों में तुम्हारे अंदर रहने वाले भगवान का मंदिर, तुम्हारा चैत्य पुरुष है। यही वह केंद्र है…

परात्पर भगवान की ओर

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जो श्रद्धा वैश्व भगवान के प्रति जाती है वह लीला की आवश्यकताओं के कारण अपनी क्रियाशक्ति में सीमित रहती है…

शिक्षा एक साँचा है

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तुम सोचते हो कि तुम्हें जो पाठशाला भेजा जाता है और तुमसे जो वहाँ अभ्यास करवाये जाते हैं, यह सब…