श्री पृथ्वीसिंह नाहर की पुत्रवधू राजसेना अपने तीन नन्हें-मुन्नों को लेकर आश्रम में रहती थीं। एक दिन उसकी तीन वर्षीया…
लता जौहर बचपन में प्रखर स्वभाव की बालिका थी। लगभग ५० वर्ष पूर्व की बात है, एक दिन बालिका लता…
मेरे प्रभु के नाम पर, मेरे प्रभु के लिए, मेरे प्रभु के संकल्प के साथ, मेरे प्रभु की शक्ति द्वारा,…
यह आश्रम दूसरे आश्रमों की तरह नहीं है - यहाँ के सदस्य सन्यासी नहीं हैं, वास्तव में यहाँ योग का…
सांसारिक जीवन का परित्याग करने से पहले साधू बनमालीदास बिहार में जज थे। बाद में उन्होने नर्मदा के तट पर…
कुछ समय से मुझे आन्तरिक और बाह्य विक्षोभ के कारण नींद में परेशानी हो रही है। मैं आपसे सहायता के…
विजय की प्राप्ति ना केवल बलिदान से, न त्याग से, न ही निर्बलता से होती है। वह केवल एक ऐसे…
आज सवेरे मैं पाँच मिनट काम करके ही थक गया। काम था बस फ़र्निचर पर पॉलिश करना ! सभी शारीरिक…
माताजी, २६ वर्ष प्रयास करने के बाद भी में देखता हूँ कि मैं निष्ठावान होने से बहुत दूर हूँ। छोटी-छोटी…
श्रीअरविंद ने अपना शरीर परम निस्वार्थता की क्रिया में त्यागा है। उन्होने अपने शरीर की उपलब्धियों को इसलिए त्यागा कि…