स्वर्ग और नर्क


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

क्या स्वर्ग और नरक का अस्तित्व है?

स्वर्ग और नरक एक ही साथ सत्य और मिथ्या दोनों हैं। उनका अस्तित्व है भी और नहीं भी।

मानव विचार सर्जनकारी होता है। वह मानसिक और प्राणिक तत्त्व को, बल्कि सूक्ष्म-भौतिक तत्त्व को भी थोड़े-बहुत स्थायी आकार प्रदान
कर देता है। ये आकार वास्तविक की अपेक्षा ज्यादा छाया-रूप होते हैं; किन्तु उन लोगों के लिए जो इनके बारे में सोचते हैं, और उनके  लिए तो और भी अधिक जो इन पर विश्वास करते हैं, इनका अस्तित्व इतना मूर्त होता है कि उन्हें इनके सच्चे होने की भ्रान्ति हो जाती है। जिन धर्मों में नरक और स्वर्ग का या विभिन्न प्रकार के स्वर्गों का अस्तित्व माना जाता है, उनके अनयायियों के लिए ये चीजें बाह्य रूप में भी अपना अस्तित्व रखती हैं और अपनी मृत्यु के बाद वे थोड़े-बहुत लम्बे समय के लिए वहां जा भी सकते हैं। किन्त फिर भी ये केवल मानसिक रचनाएं होती है। जिनमें स्थायित्व नहीं होता, न शाश्वत सत्य ही होता है। मैंने उन स्वर्गों और नरकों को देखा है जहां कुछ लोग मृत्यु के बाद जाते हैं और उन्हें यह समझाना बड़ा कठिन होता है कि यह सच नहीं है। एक बार मुझे किसी को यह विश्वास दिलाने में कि उसका तथाकथित नरक नरक नहीं है और उसे उसमें से निकालने में एक वर्ष से भी अधिक लग गया था।

संदर्भ : विचार और सूत्र के संदर्भ में


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