सहते चलो और तुम्हारी विजय होगी। विजय सबसे अधिक सहनशील के हाथों में आती है।
और भागवत कृपा और भागवत प्रेम के साथ कुछ भी असम्भव नहीं है।
मेरी शक्ति और मेरा प्रेम तुम्हारे साथ हैं।
संघर्ष के अन्त में होती है ‘विजय’।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
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सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…