पहले से यह निर्धारित मत करो कि तुम्हारा आदर्श किस समय और किस तरीके से पूरा होगा। कार्य करो और समय तथा तरीके को सर्वज्ञ भगवान पर छोड़ दो ।

संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली 

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