संतुलन अनिवार्य है, जो पथ सावधानतापूर्वक विपरीत चरमावस्थाओं से बचता है वह अनिवार्य है, अत्यधिक जल्दबाज़ी खतरनाक है, अधैर्य आगे बढ्ने से तुम्हें रोकता है; और साथ-ही-साथ, तामसिकता तुम्हारें पैरो में बेड़ियाँ डाल देती है।
अतएव, सभी चीजों के लिए वास्तव में मध्यम मार्ग (मज्झम निकाय) ही, जैसा कि बुद्ध ने इसे नाम दिया था, सबसे उत्तम है।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५६
भगवान को अभिव्यक्त करने वाली किसी भी चीज को मान्यता देने में लोग इतने अनिच्छुक…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…