सच्ची सच्चाई है राह पर आगे बढ़ते जाना, क्योंकि तुम उसके अतिरिक्त कुछ कर ही नहीं सकते; अपने-आपको दिव्य जीवन के लिए समर्पित करना, क्योंकि उसके अतिरिक्त तुम और कुछ कर ही नहीं सकते; सच्ची सच्चाई है अपनी सत्ता को परिवर्तित करने का प्रयत्न करना और प्रकाश की ओर उठना, क्योंकि उसके अतिरिक्त तुम और कुछ कर ही नहीं सकते, क्योंकि वही तुम्हारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है।
जब हालत ऐसी हो तब तुम निश्चित हो सकते हो कि तुम ठीक राह पर हो।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९२९-१९३१
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि…
तुम्हारा अवलोकन बहुत कच्चा है। ''अन्दर से'' आने वाले सुझावों और आवाजों के लिए कोई…
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…