(भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के श्रीअरविंद आश्रम आने पर माताजी ने उन्हें यह संदेश दिये थे। )
भारत भविष्य के लिए काम करे और सबका नेतृत्व करे। इस तरह वह जगत में अपना सच्चा स्थान फिर से पा लेगा।
बहुत पहले से यह आदत चली आयी है कि विभाजन और विरोध के द्वारा शासन किया जाये। अब एकता, परस्पर समझौते और सहयोग के द्वारा काम करने का समय आ गया है ।
सहयोगी चुनने के लिए, वह जिस दल का है उसकी अपेक्षा मनुष्य का मूल्य ज्यादा महत्वपूर्ण है।
राष्ट्र की महानता अमुक दल की विजय पर नहीं बल्कि सभी दलों की एकता पर निर्भर करती है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि…
तुम्हारा अवलोकन बहुत कच्चा है। ''अन्दर से'' आने वाले सुझावों और आवाजों के लिए कोई…
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…