कुछ लोगो को श्रीमाँ के चारों और ज्योति आदि के दर्शन होते हैं पर मुझे नहीं होते । मेरे अंदर क्या रुकावट है ?
यह कोई रुकावट नहीं – यह केवल आंतरिक इंद्रियों के विकास का प्रश्न है । इसका आध्यात्मिक उन्नति के साथ कोई अनिवार्य संबंध नहीं । कुछ लोग पथ पर बहुत आगे बढ़ चुके हैं पर उन्हें इस प्रकार का अंतरदर्शन यदि होता भी है तो बहुत ही कम – दूसरी ओर, कभी-कभी निरे आरंभिक साधकों में, जिन्हें अभी केवल अत्यंत प्राथमिक आध्यात्मिक अनुभव ही हुए होते है, बहुत बड़ी मात्रा में विकसित हो जाता है ।
संदर्भ : माताजी के विषय में
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…
... सामान्य व्यक्ति में ऐसी बहुत-से चीज़ें रहती हैं, जिनके बारे में वह सचेतन नहीं…
भगवान मुझसे क्या चाहते हैं ? वे चाहते हैं कि पहले तुम अपने-आपको पा लो,…
सूर्यालोकित पथ का ऐसे लोग ही अनुसरण कर सकते हैं जिनमें समर्पण की साधना करने…
एक चीज़ के बारे में तुम निश्चित हो सकते हो - तुम्हारा भविष्य तुम्हारें ही…