भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है और सभी वस्तुओं का समर्थन करती है-यह निश्चल पक्ष है। एक गत्यात्मक पक्ष भी है जिसके द्वारा भगवान् कार्य करते हैं उनके पीछे श्रीमां हैं। तुम्हें इसे अनदेखा नहीं करना चाहिये कि
श्रीमां के माध्यम से ही सभी वस्तुएं उपलब्ध होती हैं।
संदर्भ : माताजी के विषय में
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…