निःसंदेह, मेरी शक्ति आश्रम तथा उसकी अवस्थाओं तक सीमित नहीं है। जैसा कि तुम जानते ही हो कि इसका बहुत बड़ा भाग युद्ध को सही दिशा देने और मानव जगत में हो रहे परिवर्तन में सहायता पहुंचाने में प्रयुक्त हो रहा है । आश्रम के दायरे से बाहर और योग-साधना न करने वाले व्यक्तियों की सहायता करने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। अवश्य ही, यह चुपचाप किया जाता है और मुख्यतः आध्यात्मिक क्रिया के द्वारा होता है ।
संदर्भ : श्रीअरविंद अपने विषय में
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…